बिकरू कांड में कुख्यात अपराधी विकास दुबे के मददगारों को अब कोर्ट से राहत मिलनी शुरू हो गई है

कानपुर। बिकरू कांड में कुख्यात अपराधी विकास दुबे के मददगारों को अब कोर्ट से राहत मिलनी शुरू हो गई है। राहुल के बाद अब हाईकोर्ट ने दो आरोपितों की जमानत मंजूर कर ली है और दोनों जेल से बाहर आ गए हैं। पिछले 18 दिनों के अंदर तीन आरोपित सलाखों से बाहर आ चुक हैं।
विकास दुबे ने अपने हथियारबंद साथियों के साथ मिलकर 2 जुलाई 2020 की रात को सीओ समेत आठ पुलिसकर्मियों की बेरहमी से हत्या कर दी थी। पुलिस और एसटीएफ ने त्वरित कार्रवाई करते हुए वारदात के दूसरे दिन उसके दो साथियों को मुठभेड़ के दौरान ढेर कर दिया। साथ ही विकास समेत उसके गैंग के छह अन्य साथियों को एनकाउंटर में मार गिराया तो वहीं 50 से ज्यादा मददगारों पर शिकंजा कसते हुए सलाखों के पीछे भेजा था। इन्हीं में से तीन को कोर्ट ने राहत देते हुए जमानत मजूर कर दी।
यूपी एसटीएफ ने बिकरू कांड के बाद मार्च 2021 को पनकी इलाके से सात आरोपितों को गिरफ्तार कर उनके पास से भारी मात्रा में हथियार बरामद किए थे। एसटीएफ का दावा था कि यह वही हथियार हैं जो पुलिस वालों के खिलाफ हमले में प्रयोग किए गए थे। विकास दुबे इन्हें कानपुर देहात में छोड़कर फरार हो गया था। पूछताछ में यह भी सामने आया था कि इस गिरोह में वह लोग शामिल हैं, जिन्होंने बिकरू से फरारी के बाद विकास दुबे, अमर दुबे और प्रभात मिश्रा की मदद की थी।
पनकी पुलिस ने विकास यादव और मोहन अवस्थी को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। पुलिस ने इन पर आरोप लगाए थे, कि दोनों ने विकास दुबे, प्रशान्त मिश्रा और अमर दुबे की मदद की थी। वारदात के बाद तीनों अपराधियों को सरंक्षण दिया था और कानपुर देहात से फरार करवाने में मदद की थी। हाई कोर्ट के अधिवक्ता कातिर्केय दीक्षित ने बताया कि हाई कोर्ट ने आरोपित मोहन अवस्थी व विकास यादव को जमानत दे दी है। दोनों को जिला कारागार से रिहाई भी मिल गई है।
एसटीएफ के मुताबिक प्रभात मिश्रा ने वारदात के बाद शिवली निवासी अपने दोस्त विष्णु कश्यप को फोन करके शिवली नदी के पुल के पास कार लेकर बुलाया था। विष्णु अपने दोस्त छोटू की स्विफ्ट डिजायर कार लेकर पहुंचा। वहां से सभी विष्णु के बहनोई राम जी के घर रसूलाबाद पहुंचे थे। 3 जुलाई 2020 की दोपहर को रामजी ने अमर दुबे को करिया झाला में संजय परिहार की बगिया ले गया। शाम को विकास और प्रभात भी वहां पहुंचे।
इस पूरे घटनाचक्र में अभिनव तिवारी, अर्पित मिश्रा उर्फ पुत्तू मिश्रा, विक्की उर्फ विकास यादव, अमन शुक्ला, मोहन अवस्थी मददगार बने थे। पुलिस ने विकास के एक-एक मददगार को सलाखों के पीछे पहुंचाया था। जिसमें चौबेपुर के एसओ और दरोगा भी शामिल हैं। इसके अलावा विकास दुबे के खजांची जय बाजपेयी भी जेल के अंदर है। सूत्र बताते हैं कि आने वाले वक्त में अन्य आरोपी जमानत के लिए याचिका हाईकोर्ट में दायर कर सकते हैं।
इससे पहले बिकरू कांड से जुड़े मामलों में पहला आरोपित राहुल सिंह जेल से छूटकर बाहर आ गया है। असल में बिकरू कांड के बाद जब कुख्यात विकास दुबे फरार हुआ तो उसके खजांची जय बाजपेयी की तीन गाडिय़ां संदिग्ध हालात में विजय नगर चौराहे पर लावारिस खड़ी मिली थीं। बरामद तीनों कारें जय बाजपेयी के नाम नहीं थीं। जांच में सामने आया था कि फार्च्यूनर सचेंडी निवासी राहुल सिंह की थी। राहुल सिंह की फार्च्यूनर में विधानसभा का फर्जी पास लगा होने का मामला सामने आया तो पुलिस ने एक और मुकदमा दर्ज किया था। राहुल ने इसी मामले में आत्मसमर्पण किया था।

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