सूर्यपुत्र शनिदेव भगवान जी कहते हैं मैं गुरुओं का भी गुरु हूं
और योद्धाओं का भी योद्धा हूं योगियों का भी योगी हूं राजाओं का भी राजा हु और इस पूरे ब्रह्मांड पर मेरा ही राज्य है और ऐसा राज्य है जो कभी खत्म होने वाला नहीं है पृथ्वी का भी मालिक में ही हूं प्रत्येक इंसान दो आंखों से देखता है लेकिन मैं इस दुनिया को करोड़ों आंखों से देखता हूं मेरी आंखों से आज तक कोई बच नहीं पाया है चाहे कोई लाख चालाकी कर ले कितने ही झूठ बोले कौन कितने गहरे पानी में है मैं सब को देखता रहता हूं और समय आने पर सब को सब का हिसाब देता हूं क्योंकि मैं सब का हिसाब रखता हूं पल पल का
जो सच्चे इंसान हैं उनसे मैं प्रेम करता हूं प्यार करता हूं आशीर्वाद देता हूं दया करता हूं उनकी मदद करता हूं रक्षा करता हूं
और जो इंसान गद्दार है बेईमान है दुष्कर्मी है चोरी करता है मिलावट खोरी करता है बेईमान है दो नंबर का धंधा करता है गंदी संगत करता है ऐसे अधर्मी लोगों का तो मैं सर्वनाश ही करता हूं
सूर्यपुत्र शनिदेव भगवान जी कहते हैं मैं अपने भक्तों के साथ हमेशा रहता हूं लेकिन दिखाई नहीं देता बस लेकिन प्रत्येक सच्चे भक्तों को मेरी अनुभूति जरूर होती है और उन्हें पता रहता है कि प्रभु मेरे सनी देव भगवान मेरे साथ है और उनका जीवन प्रतिदिन पारदर्शी बनता चला जाता है और वह अपने जीवन में सत्य को धारण करने से महान बन जाते हैं और दुनिया का हर अमूल्य सुख मैं अपने प्रत्येक भक्त को अपनी गोद में बिठाकर उन्हें इतना शक्तिशाली धैर्यवान बना देता हूं
फिर वह कभी भी माया रूपी जंजाल में फंसते नहीं हैं
और मेरा ही गुणगान गाते हुए अपने जीवन की आखरी सांस तक अपने अमूल्य जीवन को देश धर्म के प्रति अपने राष्ट्र के प्रति भारत माता के प्रति गौ माता के प्रति समर्पित कर देते हैं धरती माता जी के चरणों में जो इन कामों को करते हैं वह मेरे सच्चे भक्त है मेरे बच्चे हैं