कुर्बानी अल्लाह का हुक्म, हज़रत इब्राहीम अलै0 की सुन्नत है

मदरसा जामे उल उलूम जामा मस्जिद पटकापुर के ज़ेरे एहतमाम मस्जिद आयशा के.डी.ए. जाजमऊ में जलसे का आयोजन

कानपुर : मदरसा जामे उल उलूम जामा मस्जिद पटकापुर के ज़ेरे एहतमाम मोहतमिम मुहीउद्दीन खुसरू ताज की ज़ेरे सरपरस्ती जारी 9 दिवसीय प्रोग्राम फज़ायल व मसायल व तारीखे कुर्बानी के तहत मस्जिद आयशा के.डी.ए. जाजमऊ में जलसा आयोजित हुआ। मुख्य अतिथि के रूप में तशरीफ लाये मदरसा जामे उल उलूम जामा मस्जिद पटकापुर के उस्ताद मुफ्ती मुहम्मद आक़िब शाहिद क़ासमी ने सम्बोधित करते हुए अल्लाह ने माहे ज़िलहिज्जा में दो अहम इबादतें करने का हुक्म दिया है, पहला कुर्बानी, दूसरा हज। कुर्बानी हज़रत इब्राहीम अलै0 की सुन्नत है, यह उन हज़रात पर वाजिब है जिन पर ज़कात वाजिब है। ज़कात के लिये निसाब के बराबर माल पर साल गुज़रना शर्त, लेकिन कुर्बानी वाजिब होने के लिये साल का गुज़रना ज़रूरी नहीं। अर्थात अगर आपके पास 10 ज़िलहिज्जा से 12 ज़िलहिज्जा की मग़रिब से पहले-पहले निसाब के बराबर माल आ जाता है तो आप पर कुर्बानी वाजिब हो जायेगी। कुर्बानी अल्लाह का हुक्म है, यहां अपनी अक़्ल का दख़ल देने से काम नहीं चलेगा। ज़रूरत इस बात की है कि अगर कहीं कोई भ्रांति पैदा करे तो अपने उलेमा से सम्पर्क करें। इस अवसर पर हाफिज़ मुहम्मद जमील, मौलाना फैज़ानुल्लाह क़ासमी, हाफिज़ हिफ्जुर्रहमान, मुहम्मद नौशाद के अलावा बड़ी संख्या में स्थानीय अवाम मौजूद थे

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