बुद्धि के देवता श्रीगणेश की पीठ के दर्शन नहीं करना चाहिए। वह इसीलिए क्योंकि ऐसा करने से घर में दरिद्रता का वास होने लगता है। हो सकता है ऐसे में आपको कई तरह की परेशानियों का सामना भी करना पड़े।

 

पुराणों में वर्णित है कि गणेशजी रिद्धी-सिद्धी के दाता हैं। गणेशजी के शरीर पर ब्रह्मांड से जुड़े अंग निवास करते हैं। उनकी सूंड पर धर्म, कानों पर ऋचाएं, दाएं हाथ में वर, बाएं हाथ में अन्न, पेट में समृद्धि, नाभी में ब्रह्मांड, आंखों में लक्ष्य, पैरों में सातों लोक और मस्तक में ब्रह्मलोक विद्यमान है। गणेशजी के सामने से दर्शन करने पर उपरोक्त सभी सुख-शांति और समृद्धि प्राप्त हो जाती है।

 

पीठ के दर्शन करने पर यह पुण्य नहीं मिलता। इसीलिए पुराणों में गणेश जी की पीठ के दर्शन करना वर्जित माना गया है। मान्यता है कि श्रीगणेश की पीठ पर दरिद्रता का निवास होता है। उनकी पीठ के दर्शन करने वाला इंसान अगर बहुत धनवान हो तो उसके घर पर दरिद्रता का प्रभाव बढ़ जाता है।

 

यही कारण इनकी पीठ नहीं देखना चाहिए। अगर आपने इनकी पीठ के दर्शन कर लिए है तो श्री गणेश से क्षमायाचना मांग लेना चाहिए। जिससे कि इसका प्रभाव खत्म हो जाए।

 

श्रीगणेश के अलावा भगवान विष्णु जी की पीठ के दर्शन नहीं करना चाहिए। ऐसा इसीलिए क्यों की पौराणिक ग्रंथो में उल्लेख मिलता है कि भगवान विष्णु की पीठ पर अधर्म का वास माना जाता है। शास्त्रों में बताया गया है कि जो व्यक्ति इनकी पीठ के दर्शन करता है, उसके सभी पुण्य खत्म होते जाते हैं और अधर्म बढ़ता है।

 

अधर्म बढ़ने से व्यक्ति के सुख समाप्त हो जाते हैं और लक्ष्मी कृपा प्राप्त नहीं हो पाती है। इन्हीं कारणों से श्रीगणेश और श्रीविष्णु की पीठ के दर्शन नहीं करने चाहिए।

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