अयोध्या में विजय राघव मंदिर और अम्मा जी ऐसे दो मंदिर हैं, जहां गर्व गृह में शाम होते ही अंधेरा हो जाता है. इन मंदिरों के गर्भगृह में रात्रि के समय प्रकाश की व्यवस्था नहीं की जाती. वैसे रामलला के दर्शन करने के लिए अयोध्या में लोग देश-विदेश से आते हैं, लेकिन यहां के दोनों मंदिरों की विशेषता शायद कम लोग ही जानते हैं. दक्षिण पंथ का विजय राघव मंदिर और अम्मा जी मंदिर ऐसा मंदिर है, जहां दक्षिण भारत परंपरा के अनुरूप पूजा-पाठ होता है. इन मंदिरों के गर्भगृह में शाम ढलते ही अंधेरा हो जाता है.अम्माजी मंदिर के पुजारी वेंकटाचार्य स्वामी बताते हैं कि यह मंदिर 100 वर्ष पहले अयोध्या में स्थापित किया गया था.

 

मंदिर के गर्भगृह में स्थापित विग्रह को गर्भस्थ शिशु माना जाता है. गर्भस्थ शिशु पर बाहरी प्रकाश पड़ने से उस पर दुष्प्रभाव पड़ सकता है. जिस प्रकार गर्भ गर्भवती महिला का एक्स रे और सीटी स्कैन कराने से चिकित्सक परहेज करने की सलाह देते हैं वैसे ही यहां मंदिर के गर्भगृह में लाइट नहीं जलाई जाती. वेंकटाचार्य स्वामी बताते हैं कि दक्षिण भारत में भी इस परंपरा के जितने भी मंदिर हैं वहां गर्भ गृह के अंदर लाइट नहीं जलती.वहीं दूसरा मंदिर विभीषण कुंड मोहल्ले में है. यह मंदिर वर्ष 1954 में स्थापित हुआ था. इस मंदिर के महंत श्री धराचार्य जी हैं. मंदिर में पिछले 15 वर्षों से अखंड राम नाम संकीर्तन चल रहा है. यहां भगवान को गर्भस्थ शिशु मानकर गर्भगृह में रात में प्रकाश की व्यवस्था नहीं की जाती. महंत श्री धराचार्य का कहना है कि गर्भगृह में श्री राम भगवान को कोई तकलीफ न हो इसलिए अब तक लाइट नहीं लगवाई गई. उनका कहना है कि विद्युत प्रकाश की व्यवस्था अति प्राचीन नहीं हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *