*आतंक की गंदगी के कट्टरवादी वायरस से समाज को बचाने के लिए हो सख्त कार्रवाई:सूफी कौसर मजीदी*
कानपुर। सूफी समाज के आयोजनों पर पाकिस्तानी आतंकी पैटर्न पर निशाना बनाए जाने की संभावित घटनाओं को लेकर सूफी खानकाह एसोसिएशन ने चिंता व्यक्त की है।और प्रत्येक वर्ष होने वाली हिंसक घटनाओं को देखते हुए पहले से ही सतर्क होने के लिए शासन को पत्र भेजा है।केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और देश के लगभग सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों और पुलिस विभाग के प्रमुखों को पत्र लिखकर सूफी खानकाह एसोसिएशन राष्ट्रीय अध्यक्ष सूफी मोहम्मद कौसर हसन मजीदी ने,संभावित घटनाओं को रोकने के लिए आवश्यक कार्रवाई की मांग की है।
केंद्रीय कार्यालय कानपुर नगर से इस संबंध में बयान जारी करते हुए सूफी खानकाह एसोसिएशन राष्ट्रीय अध्यक्ष सूफी मोहम्मद कौसर हसन मजीदी ने कहा कि,इस्लामी मान्यताओं के अनुसार 18 जिल्हिज से 28 सफर तक सूफ़ी खानकाहों दरगाहों और इमामबाड़ों पर,हुजूर नबी ए करीम हजरत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम की अहलेबैत की खुशी में खुश होने वाली ईद उल गदीर और ईद ए मुबाहिला तथा, उनके परिजनों के दुख में आयोजित होने वाले दिनों पर भारत के करोड़ों सूफी समाज के लोगों के द्वारा आयोजन किए जाते हैं।
उन्होंने कहा कि खुद को मुसलमान कहने वाले कुछ लोग, जो नबी की नस्ल की खुशी और गम में शरीक होने वाले सूफी समाज के करोड़ों भारतीयों को काफिर मुशरिक यानी गैर मुस्लिम के फतवे जारी कर, और जलसे जुलूस तथा सोशल मीडिया आदि के माध्यम से कुछ कट्टरपंथी मुल्ला मौलवी और उनके गुंडों का समूह प्रत्येक वर्ष शारीरिक,आर्थिक राजनीतिक,सांस्कृतिक और सामाजिक हिंसा की साजिशें रचते हैं। उन्होंने कहा कि भारत विरोधी पाकिस्तानी आतंकी मुल्ला ज़लाली की विचारधारा के उसके कुछ चेले, लगातार पाकिस्तानी पैटर्न पर मसलकी जुनूनी जिहादी वातावरण उत्पन्न करते हुए सूफी समाज को निशाना बना रहे हैं।
उन्होंने कहा कि पूर्व के वर्षों में लगातार इस प्रकार की घटनाएं हुई हैं,जिसके संबंध में सूफी खानकाह एसोसिएशन सरकारों को आगाह भी करता चला आया है,उन्होंने कहा कि भारत के संविधान और कानून तथा उच्चतम न्यायालय के कई निर्णयों के अनुसार ऐसे फतवे अवैध हैं।उन्होंने कहा कि सूफी खानकाह एसोसिएशन मांग करता है कि आतंक की गंदगी में पले कट्टरवादी वायरस से उत्पन्न संक्रामक रोगों से समाज को बचाने के लिए सभी सरकारें सख्त कार्रवाई करें।