भगवान विष्णु के सामने चौमुखी दीया जलाना चाहिए

आज 18 जुलाई से चातुर्मास शुरू हो रहा है चातुरमास का अर्थ है चार माह की अवधि। चातुर्मास में सभी मांगलिक कार्य बंद हो जाते हैं। साथ ही, इन चार महीनों के दौरान ग्रह-नक्षत्रों में भी कई बड़े बदलाव आते हैं। ग्रह कमजोर भी पड़ जाते हैं

 

ऐसे में चारमुखी दीये को इन चार महीनों का प्रतीक मानकर भगवान विष्णु के सामने जलाना चाहिए। यह इस बात को दर्शाता है कि भले ही भगवान विष्णु साक्षात रूप से सृष्टि के संचालन के लिए उपलब्ध नहीं हैं लेकिन उनकी कृपा हमेशा आपके परिवार पर बनी रहे

 

दीया जलाने से चातुर्मास के दौरान घर में अशुभता प्रवेश नहीं

कर पाती है। घर में सकारात्मकता का संचार बना रहता है। 8K अगर किसी भी प्रकार का ग्रह दोष बन रहा है तो वह भी दूर हो जाता है। सभी ग्रह शांत बने रहते हैं। देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के समक्ष चौमुखी दीया जलाने से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है और मा लक्ष्मी की कृपा भी बनी रहती है। घर की आर्थिक स्थिति मजबूत रहती है और अगर कोई कार्य पुराने समय से अटका हुआ है तो उसके पूरे होने की संभावना बनती है।

 

चातुर्मास में नहीं होते विवाह

भगवान विष्णु को सृष्टि का पालनहार कहा जाता है. श्रीहरि के विश्राम अवस्था में चले जाने के बाद मांगलिक कार्य जैसे- विवाह, मुंडन, जनेऊ आदि करना शुभ नहीं माना जाता है.

 

मान्यता है कि इस दौरान मांगलिक कार्य करने से भगवान का आशीर्वाद नहीं प्राप्त होता है. शुभ कार्यों में देवी-देवताओं का आवाह्न किया जाता है. भगवान विष्णु योग निद्रा में होते हैं, इसलिए वह मांगलिक कार्यों में उपस्थित नहीं हो पाते हैं. जिसके कारण इन महीनों में मांगलिक कार्यों पर रोक होती है.

 

पाताल में रहते हैं भगवान

ग्रंथों के अनुसार पाताल लोक के अधिपति राजा बलि ने भगवान विष्णु से पाताल स्थिति अपने महल में रहने का वरदान मांगा था. इसलिए माना जाता है कि देवशयनी एकादशी से अगले 4 महीने तक भगवान विष्णु पाताल में राजा बलि के महल में निवास करते हैं. इसके अलावा अन्य मान्यताओं के अनुसार शिवजी महाशिवरात्रि तक और ब्रह्मा जी शिवरात्रि से देवशयनी एकादशी तक पाताल में निवास करते हैं.

 

चातुर्मास के चार महीने

चातुर्मास का पहला महीना सावन होता है. यह माह भगवान विष्णु को समर्पित होता है. दूसरा माह भाद्रपद होता है. यह माह त्योहारों से भरा रहता है. इस महीने में गणेश चतुर्थी और कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व भी आता है. चातुर्मास का तीसरा महीना अश्विन होता है. इस मास में नवरात्र और दशहरा मनाया जाता है.

 

चातुर्मास का चौथा और आखिरी महीना कार्तिक होता है. इस माह में दिवाली का त्योहार मनाया जाता है. इस माह में देवोत्थान एकादशी भी मनाई जाती है. जिसके साथ ही मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं.

 

देवशयनी एकादशी व्रत का महत्व

पद्म पुराण के अनुसार, जो व्यक्ति देवशयनी एकादशी का व्रत रखता है. वह भगवान विष्णु को अधिक प्रिय होता है. साथ ही इस व्रत को करने से व्यक्ति को शिवलोक में स्थान मिलता है.

 

साथ ही सर्व देवता उसे नमस्कार करते हैं. इस दिन दान पुण्य करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस दिन तिल, सोना, चांदी, गोपी चंदन, हल्दी आदि का दान करना चाहिए.

 

देवशयनी एकादशी भगवान विष्णु के शयन का मंत्र

सुप्ते त्वयि जगन्नाथ जगत् सुप्तं भवेदिदम्.

विबुद्दे च विबुध्येत प्रसन्नो मे भवाव्यय..

मैत्राघपादे स्वपितीह विष्णु: श्रुतेश्च मध्ये परिवर्तमेति.

जागार्ति पौष्णस्य तथावसाने नो पारणं तत्र बुध: प्रकुर्यात्..

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *