आज दिनांक 2 /8 /2024 को नेशनल अलायंस ऑफ़ वीमेन NAWO व सखी केंद्र के संयुक्त तत्वाधान में मर्चेंट चेंबर सभागार मे LGBT के समुदाय के अधिकार चुनौतियां और समाज में उनकी बेहतरी के लिए कार्यशाला का आयोजन किया गया ।
कार्यशाला का आयोजन प्राची त्रिपाठी द्वारा किया प्राची जी ने संचालन करते हुए सभी का स्वागत किया और बेंगलोर से अभिति जी, नाज फाउंडेशन से आरिफ जफर व सखी केंद्र की महामंत्री जी का मंच पर स्वागत किया। सभी आए हुए प्रतिभागियों का भी स्वागत किया। कार्यक्रम के प्रारंभ में सखी केंद्र की महामंत्री नीलम चतुर्वेदी जी ने अपने विचार रखते हुए कहा जब हम किसी मानवाधिकार की बात अलग से तब करते हैं । जब से दुनिया बनी है तब से ट्रांस, लेस्बियन, गे हैं फिर भी आज तक उनके लिए स्वीकृति नहीं बन पाई है सम्मान नहीं बन पाया है आज भी भेदभाव हिंसा असमानता की समस्या झेल रहे हैं
और समाज में उनकी पहचान छुपाई जाती है । मां के लिए प्रत्येक बच्चा सामान्य होता है,मानवाधिकार की बात अलग से करते हैं ।
आरिफ जफर जी नाज फाउंडेशन से अपने विचार रखते हैं कहां जब लोगों ने अपनी आपको पहचाना शुरू किया यह समस्या वहीं से निकाल कर आई जिन्हें हम हिजड़ा कहते हैं उन्होंने ही दुर्व्यवहार से तंग आकर आवाज उठाई और पुलिस को मिलकर पीटा। नजीर की मृत्यु के बाद कोई दफन करने को तैयार नहीं था उस वक्त नाज फाउंडेशन तैयार हुआ उस वक्त लोगों को LGBTकी पहचान नहीं थी । सरकार मानती है उनके साथ योन संबंध रखने में एचआईवी एड्स का खतरा बढ़ जाता है सरकार के आंकड़े 8% लोग है आप लोग अगर किसी को जानते हैं इज्जत दे सम्मान दे वे भी हम जैसे इंसान ने खुले दिल से गले लगाए यह वह लोग हैं जो समाज में डॉक्टर इंजीनियर बन सकते हैं यह एक बड़ा मुद्दा है।
अभिति जी ने अपने विचार रखते हुए कहा LGBT की बहुत सारी समस्याएं हैं जब हम किसी को देखते हैं महिला या पुरुष हम उसवक्त सत्ताधारी बन जाते हैं समलैंगिक व्यक्तियों के साथ बहुत तरह के पैदा होते हैं समाज में अस्वीकारिता असमानता है उनके लिए ट्रांस के लिए भी बहुत तरह के भेदभाव है वह भेदभाव के कारण शिक्षा ने उनकी पूरी हो पाती है हम सबको इनकी समस्याओं और परेशानियों को समझ कर इनको भी समाज में बराबर का अधिकार दिलाना।
अनुज पांडे ने अपने विचार रखते हुए कहा की ट्रांसजेंडर की बहुत तरह की समस्या है जैसे आजादी के 75 वर्ष होगये लेकिन ट्रांसजेंडर के लिए 75 टॉयलेट भी नहीं बने। इन्हें समाज में बहुत सारी भ्रांतियां हैं जैसे रोजगार नहीं मिलता है तो इन्हें टोली बधाई का काम करना पड़ता है। इनको भी बराबर की भागीदारी मिलना बहुत जरूरी है। सखी केंद्र की महामंत्री नीलम चतुर्वेदी जी ने कहा की एमएसएमई से बात हुई है जो इनको रोजगार के लिए प्रशिक्षण देंगे और यह आगे रोजगार कर सके इसके लिए हर संभव मदद करेंगे। उनकी शिक्षा के लिए भी बताया कि ऑनलाइन भी बहुत अच्छी शिक्षा मिलती है, इससे भी वह अपनी शिक्षा को आगे कर सकते हैं। इस तरह से आगे और कार्यशाला करनी होगी जिससे समाज में इनकी बेहतरी के लिए आगे कार्य किया जा सके। कार्यशाला में मुख्य रूप से प्राची त्रिपाठी, अर्चना पांडे, पुष्पा तिवारी, अनुपम तिवारी, प्रभावती, माया सिंह, माया कुरील, ममता गुप्ता, कंचन शर्मा, किरण तिवारी, आसिफ खान और शमीर अहमद की भागीदारी रही।