महाकाल की नगरी उज्जैन से 36 कि.मी. इंगोरिया और इंगोरिया से ( इंगोरिया गौतमपुरा रोड पर ) करीब 6 कि.मी.की दूरी पर दंगवाड़ा में बोरेश्वर महादेव का अद्भुत शिव मन्दिर स्थित है जिनके दर्शन करने पर आप भावविभोर हो जाएंगे।
स्थानीय स्तर पर प्रचलन में है कि बोर जैसी आकृति के कारण इसका नाम बोरेश्वर पड़ा है। यह मन्दिर ताम्र पाषाण काल से लेकर गुप्त काल तक की विरासत संभाले हुए एक अनूठा शिव मन्दिर है। बोरेश्वर महादेव के मन्दिर की परिक्रमा , माँ चंबल नदी करती है , लेकिन चम्बल नदी भी सोमसूत्र का उल्लंघन कदापि नहीं करती है । शिवलिंग की निर्मली को सोमसूत्र कहा जाता है। सोमसूत्र के बारे में ऐसा बताया गया है कि भगवान को चढ़ाया गया जल जिस ओर से गिरता है , वहीं सोमसूत्र का स्थान होता है और शास्त्रानुसार शंकर भगवान की प्रदक्षिणा में सोमसूत्र का उल्लंघन कभी नहीं करना चाहिए , अन्यथा दोष लगता है।इसी दोष से बचने के लिए ही चंबल नदी भी मन्दिर की परिक्रमा करके निकलती है ,किन्तु शिव के सोमसूत्र का उल्लंघन नहीं करती। इस मन्दिर को लेकर अनेक किवदन्तियाॅं प्रचलित है यथा —–
इस मन्दिर में महादेव की विलक्षण और स्वयंभू लिंग मूर्ति है। बोरेश्वर महादेव में 12 ज्योतिर्लिंगों का समावेश है।महादेव की इस जलाधारी से कभी पानी खत्म नहीं होता और हमेशा एक समान बना रहता है
जलाधारी में कितना ही पानी डाल दो वह हमेशा एक जैसा रहता है न तो वह अधिक होता है और न ही कम। इस मन्दिर के महंत श्री दीनदयाल गिरी के अनुसार यह मन्दिर अतिप्राचीन सिद्ध स्थल है।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि
शिवजी की सवारी नन्दी महाराज भी रात में यहाँ चलते हुए भक्तों को दर्शन देते हैं। कुछ समय पहले की बात है कि इस मन्दिर में से घंटी और घड़ियाल की आवाज रातभर अपने आप बजते हुए भक्तों को सुनाई दी हैं।श्रावण मास में बोरेश्वर महादेव का विशेष शृंगार किया जाता हैऔर हर सोमवार को महादेव की सवारी निकलती है। दर्शन के लिए मन्दिर में भक्तों की भीड़ लगी रहती हैं। रोजाना काकड़ यात्रियों का आना-जाना मन्दिर में लगा रहता है। इस मन्दिर में बारह मास ही भक्तों का आना-जाना लगा रहता है और भजन-कीर्तन के
आयोजन होते रहते हैं।
आप भी इस जानकारी को पढ़कर इसी श्रावण मास में सपरिवार बोरेश्वर महादेव के दर्शन का लाभ ले सकते हैं जी।