*वक्फ विधेयक का स्वागत कर, सूफ़ी खानकाह एसोसिएशन ने की बोर्डों में सूफियों की नुमाइंदगी या अलग दरगाह परिषद गठित करने की मांग पीएम को लिखा पत्र।*
कानपुर। भारत सरकार द्वारा वक्फ बोर्डो में सुधार के लिए लाए जा रहे,वक्फ विधेयक को देश के सूफियों के सबसे बड़े संगठन सूफ़ी खानकाह एसोसिएशन ने सराहनीय बताते हुए उसका स्वागत किया है,और वक्फ बोर्डो में सूफ़ी समाज के पर्याप्त प्रतिनिधित्व अथवा अलग से दरगाह परिषद बनाए जाने की मांग करते हुए,प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी,केंद्रीय गृह मंत्री,अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री और केंद्रीय कानून मंत्री को पत्र भेजा है।
इस संबंध में केंद्रीय कार्यालय कानपुर नगर से अधिकृत बयान जारी करते हुए सूफी खानकाह एसोसिएशन राष्ट्रीय अध्यक्ष सूफी मोहम्मद कौसर हसन मजीदी एडवोकेट ने कहा कि,वर्तमान समय में वक्फ बोर्डों में वहाबी देवबंदी अहले हदीस सलाफी विचारधारा के एजेंडे के अंतर्गत देश में कट्टरपंथी शक्तियों को मजबूत करने के कार्य लगातार किए जा रहे हैं।जिसके चलते खानकाहो और दरगाहों के सूफीवादी स्वरूप को परिवर्तित करते हुए वहां पर कट्टरपंथी विचारधारा को स्थापित करने की साजिश की जा रही है, मुतवल्लियों और सज्जादों को हटा बोर्डों द्वारा प्रशासक और इंतजामिया कमेटी बना अपने लोगों को शामिल करके दरगाहों के आध्यात्मिक स्वरूप को परिवर्तित करने का कुचक्र लगातार जारी है।
उन्होंने कहा कि वक्फ बोर्डों का ये कार्य न सिर्फ अवैधानिक असंवैधानिक और अनैतिक है बल्कि वाकिफ (जिसने वक्फ स्थापित किया) की अंतिम इच्छा का भी अपमान है।
उन्होंने कहा कि भारत के प्रमुख दो मुस्लिम संप्रदाय शिया और सुन्नियों में सुन्नियों की आबादी का 85% से अधिक भाग सूफी विचारधारा का अनुसरण करता है, एक षड्यंत्र के तहत इस विचारधारा को समाप्त करने के उद्देश्य से ऐसे कार्य लगातार किए जा रहे हैं।उन्होंने कहा कि सूफ़ी खानकाह एसोसियेशन के द्वारा कई बार इस संबंध में संबंधित लोगों को पत्राचार किया गया और साथ ही हमारी राष्ट्रीय कार्य समिति के अधिवेशन 2021 में और 2023 में हमने एक प्रस्ताव पारित करके यह मांग भारत सरकार से की है कि वक्फ बोर्ड अधिनियम में परिवर्तन करते हुए उनमें पर्याप्त मात्रा में सूफी समाज के लोगों को सम्मिलित किया जाए, अथवा जैसे कि शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड बनाए गए हैं इस तरह तर्ज पर दरगाह परिषद की स्थापना की जाए ताकि देश में सूफीवादी विचारधारा का संरक्षण होता रहे।