कानपुर
दलित शोषण मुक्ति मंच के तत्वाधान में दलित विरोधी बजट के सवाल पर दलित अधिकारों के मुद्दों पर गठित राष्ट्रीय समन्वय समिति के आवाहन पर मोदी सरकार द्वारा हाल में प्रस्तुत किए गए दलित विरोधी बजट और 2024 के 18 लोकसभा चुनाव घोषणा पत्र में दलित समुदाय की पूरी तरह उपेक्षा की गई है जो भारतीय संविधान का उल्घन दर्शाता है।जिसको लेकर दलित शोषण मुक्ति मंच के पदाधिकारियों ने महामहिम राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन कानपुर जिलाधिकारी को सौंपा और मांग की कि भारत देश में प्रगति के बावजूद भारत दलित मुख्य रूप से कृषि श्रम और असंगठित क्षेत्रों में काम करती है।इस लिए उनके निरंतर सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए केंद्र सरकार प्रत्येक साल दलित कल्याण के लिए पर्याप्त बजट पास करती है लेकिन पिछले दस सालों में जब से देश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार आई है तब से अनुशुचिती जातियों के लिए बजट व्यय में गिरावट देखी गई।उनकी आबादी के अनुपात के अनुरूप बजट आवंटन नहीं किया गया है।जब की आवंटित धन भी अक्सर संशोधित बजट के तहत कम कर दिया जाता है।जिसको लेकर दलित शोषण मुक्ति के पदाधिकारियों ने राष्ट्रपति को संबोधित कानपुर जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा है।ओर बजट बढ़ाए जाने की मांग की।