अधिवक्ताओं की मांगे पूरी नहीं हुई तो प्रदेश व्यापी सत्याग्रह एवं जेल भरो आंदोलन का ऐलान
कानपुर । ऐतिहासिक 09 अगस्त क्रांन्ति दिवस के अवसर पर नेशनल लायर्स स्ट्रगल कमेटी एवं उत्तर प्रदेश अधिवक्ता संघर्ष समिति की ज्वाइंट कोआर्डिनेशन राज्य कमेटी के आवाहन पर प्रदेश व्यापी कार्यक्रम के तहत् अधिवक्ताओं के साथ हो रहे अन्याय, जुल्म, सरकारी उपेक्षा व भेदभाव के खिलाफ तथा राज्य व केन्द्र सरकार द्वारा किये गये वादों को पूरा न करने, विधान परिषद में अधिवक्ता कल्याण के सम्बन्ध में अधिवक्ताओं को दस हजार रूपये मासिक पेंशन देने,दस लाख रूपया अधिवक्ता कल्याण निधि साठ वर्ष के बाद देने तथा युवा अधिवक्तओं को तीन हजार रू० मासिक वकालत भत्ता तीन वर्ष तक देने के पारित मांगों को लागू करते तथा 26 सूत्रीय मांगों को पूरा कराने के सवाल पर आज जिलाधिकारी कार्यालय परिसर पर कानपुर नगर व उन्नाव जिला के अधिवक्ताओं ने सत्याग्रह किया। सत्याग्रह स्थल पर उपस्थित अधिवक्ताओं की सभा को सम्बोधित करते हुये सत्याग्रह कार्यक्रम के संयोजक लोकप्रिय अधिवक्ताओं के नेता, उन्नाव बार ऐसोसिएशन के अध्यक्ष सतीश कुमार शुक्ला ने कहा, पिछले 13-14 वर्षों से हमारा संगठन सरकार को अपनी मांगों से सम्बन्धित ज्ञापन प्रत्येक माह पूरे प्रदेश में विभिन्न जिलों व तहसीलों में देता चला आ रहा है। लेकिन सरकार ने लोकतंत्र का मजाक उड़ाते हुये आज तक अधिवक्ताओं की मांगों को पूरा नहीं किया है। जब कि विधान परिषद में आज से 10 वर्ष पहले अधिवक्ताओं की तीन मांगे पेंशन, अविवक्ता कल्याण निधि युवा अधिवक्ताओं को वकालत भत्ता देने का प्रस्ताव पारित है उसे लागू नहीं किया। उन्होंने राज्य सरकार को चेतावनी देते हुये कहा कि अधिवक्ताओं के हितों से खिलवाड़ करना सरकार को मंहगा पड़ेगा। इसके लिए अधिवक्ता वर्ग अपना संघर्ष तब तक जारी रखेगा जब तक उसकी सभी मांगे पूरी नहीं हो जाती है।
मौके पर उपस्थित उत्त्तर प्रदेश अधिवक्ता संघर्ष समिति एवं नेशनल लायर्स स्ट्रगल कमेटी की ज्वाइंट कोआर्डिनेशन राज्य कमेटी के प्रदेश अध्यक्ष राजेश कुमार गुप्ता ने अधिवक्ताओं को सम्बोधित करते हुये कहा कि केन्द्र य राज्य सरकार अधिवक्ताओं के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है। जब कि केन्द व राज्य सरकार ने अधिवक्ताओं की मांगों को पूरा करने का वादा किया है और विधान परिषद में पेंशन, वेलफेयर फण्ड व युवा अधिवक्ताओं को वकालत भत्ता देने का प्रस्ताव पारित है तो उसे लागू करने में क्यों हिचक रहीं है। यह व्यवहार व रवैया लोकतंत्र के तीसरे स्तम्भ न्यायपालिका और उसके अभिन्न अग अधिवक्ता वर्ग के साथ अन्याय और जुल्म नहीं तो और क्या है। ताजा उदाहरण कोविड राहत कार्यक्रम है,जिसमें योजनाओं को तैयार करने व लागू करने में अधिवक्ता वर्ग के साथ हमेशा की तरह पूर्वाग्रह स्पष्ट विखाई दिया। केन्द्र व राज्य सरकार ने समाज के हर तबके को 29 लाख करोड रूपया से भी ज्यादा का आर्थिक राहत का पैकेज दिया, लेकिन अधिवक्ता वर्ग को इस तरह की हर पहल, प्रोत्साहन और राहत कार्यक्रम से पूर्णतया वंचित रखा गया। यह अधिवक्ताओं के साथ भेदभाव नहीं तो और क्या है। उन्होंने केन्द्र व राज्य सरकार को चेतवानी देते हुये कहा कि सरकार ने अधिवक्ताओं की मांगों को पूरा नहीं किया तो मजबूर होकर प्रदेश के अधिवक्ता वर्ग सत्याग्रह और जेल भरो आन्दोलन के लिए बाध्य होगा।
सत्याग्रह स्थल पर सभा को सन्तोष कुमार श्रीवास्तव, प्रकाश मिश्रा, के०के० पारस, अखिलेश श्रीवास्तव, श्वेता जायसवाल, सुशील सिंह (सागर यादव), प्रदीप गुप्ता, बसन्त लाल गुप्ता, विजय सिंह प्रतापसिंह सोलंकी, सुरेश केसवानी, ऋषि कान्त मणि, ऋषिकेश दीक्षित, श्रीकान्त मणि,अभिषेक सिंह यादव, श्वेता जायसवाल, नीलम, के के पारत. सभा का संचालन राजरानी शर्मा ने किया तथा अध्यक्षता ओम प्रकाश मिश्र ने किया।
सत्याग्रह स्थल पर मुख्यमंत्री को सम्बोधित एक मांग पत्र जिला मजिस्ट्रेट को दिया गया।