यूपीएस का झांसा कर्मचारियों के लिए छलावा है – इं कोमल सिंह

 

 

कानपुर, राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद कानपुर नगर के जिला मंत्री इं कोमल सिंह ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि जितनी खुशी तत्कालीन कर्मचारियों को OPS के जगह पर NPS को चुनकर हुई थी,उतनी खुशी आज भी हमारे साथियों को NPS के जगह पर UPS को चुनकर होगी। लेकिन लगभग 10 वर्षों के बाद NPS की खामियां पता चलने लगी तो लगे सरकारों को कोशने। उसी तरह जब आगामी 10 वर्षों के बाद UPS की भी खामियां बाहर आने लगेगी तब फिर से हमलोग रोने धोने लगेंगे। मैं कहता हूं आप क्यों मोडिफिकेशन कर रहे, क्यों इतना दिमाग लगा रहे हो, सीधा सीधा OPS ही क्यों नहीं बहाल कर देते। मरणोपरांत UPS के अनुसार आप फैमिली पेंशन 60 फीसद देने की फजीहत कर रहे हम तो OPS के साथ 50 फीसद में खुश हैं। परंतु बात है कि हर हाल में OPS नहीं देना है इसलिए प्रपंच रचा जा रहा है। जब तक कर्मचारी को UPS समझ में आने लगेगा तबतक सरकार इसका लाभ लेकर दो टेन्योर पूरी कर चुकी होगी और कर्मचारियों का उत्साह भी ढीला पड़ चुका होगा। 5 साल के लिए ये सफेदपोश चुनकर जाते हैं उसके बाद ताउम्र पेंशन और अन्य भत्ते पाकर सुखमय जीवन का लुत्फ उठाते हैं और आम कर्मचारी जो कि नौकरी लेने के पहले से जो संघर्ष करना शुरू करता है, नौकरी लगने बाद उससे दोगुना संघर्ष करते हुए नौकरी करता है। किशोरावस्था से शुरू करते हुए युवावस्था को समर्पित करते हुए बुढ़ापा तक अपना शरीर जलाकर,घरबार छोड़कर रिटायरमेंट तक अनगिनत बीमारियों को गले लगाकर जब घर वापस आता है तो पेंशन के रूप में झुनझुना थमाया जाता है। 5 वर्षों की सेवा के बाद सफेदपोश पूर्ण पेंशन के हकदार हैं जबकि दिन रात अपना खून जलाने के बाद जब एक कर्मचारी 10 वर्षों की सेवा के बाद जब घर जायेगा तो उसे 10000 की विशाल राशि उसे पेंशन के रूप में दी जाएगी जिससे आने वाले समय में वो अपनी पतलून भी नही सिला पाएगा। आधुनिकता का आलम यह है कि रिटायरमेंट के बाद यदि वृद्धाश्रम में गुजारनी पड़े तो इन 10000 रुपए में वृद्धाश्रम की फी भी नही पूरी होगी। खाने,कपड़े और दवाई की तो बात ही अलग है। इसलिए अभी भी समय है हमसभी को मोह के मायाजाल में नहीं फंसना है

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