‘गणपति बप्पा मोरया!’ ये तीन शब्द सिर्फ शब्द नहीं, बल्कि भक्तों का भगवान गणेश के प्रति भक्तिप्रेम हैं। गणेश चतुर्थी से लेकर गणेश विसर्जन तक भक्तों के अंदर मानो एक अनोखी ऊर्जा जागृत हो जाती है। तभी तो हर जगह हमें ‘गणपति बप्पा मोरया!’ के जयकारे इन दिनों लगातार सुनने को मिलते हैं। हिंदू धर्म में भगवान गणेश का जन्मोत्सव बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, भगवान गणेश का जन्म, भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को हुआ था। इसलिए इनके जन्मदिवस पर गणेश चतुर्थी का उत्सव मनाया जाता है। भगवान विघ्नहर्ता के भक्तों के बीच गणेशोत्सव को लेकर, चतुर्थी से लेकर चतुर्दशी तक बड़ा उत्साह रहता है। इस चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी भी कहा जाता है। 11 दिनों तक चलने वाले इस पर्व में भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित की जाती है और प्रतिदिन उनकी विधि-विधान से पूजा होती है।

 

इस साल गणेश जन्मोत्सव का पर्व सात सितंबर से मनाया जा रहा है। श्री गणेश अपने भक्तों के सभी कष्ट हर लेते हैं और उनके जीवन में आ रहे विघ्नों को भी दूर करते हैं। इसलिए भगवान गणेश को विघ्नहर्ता भी कहा गया है।

इस मंत्र के जाप से दूर होती हैं वैवाहिक समस्याएं

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कहते हैं कि विवाह सम्बन्धी कार्यों में आने वाली अड़चनों को दूर करने के लिए ‘त्रैलोक्य मोहन गणेश मंत्र’ का जाप करना चाहिए। माना जाता है कि यह मंत्र भक्तों का वैवाहिक जीवन मंगलमय और सुखमय बनता है। यदि किसी के विवाह में बाधा आ रही है, तो उसे गणेश चतुर्थी की पूजा के दौरान, गणेश जी के इस मंत्र का जाप करना चाहिए। धार्मिक मान्यता है कि इस मंत्र के जाप करने से विवाह संबंधी समस्याएं समाप्त होती हैं और साथ ही अविवाहित लड़कियों को मनचाहा वर भी मिलता है।

 

मंत्र:- ‘ॐ वक्रतुण्डैक दंष्ट्राय क्लीं ह्रीं श्रीं गं गणपते वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा’

 

गणेश चतुर्थी एक महात्यौहार है, जो कि अपने साथ भक्तों के लिए विश्वास लेकर आता है, कि गणपति आएंगे और उनके विसर्जन के साथ-साथ, भक्तों के सारे दुखों का भी विसर्जन हो जाएगा।

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