एकजुट कनपुरिया ने कानपुर में ज़मीन से जुड़कर काम करने वाले महान लोगों को सम्मानित किया

 

 

 

 

 

18 सितंबर, 2024 के दिन एकजुट कनपुरिया ने कानपुर में एक कार्यक्रम आयोजित किया, जिसमें गंगा और पांडु नदियों के पास बनी बस्तियों के सामुदायिक राजदूतों को सम्मानित किया गया, ताकि नदी के प्रदूषण के बारे में बात-चीत को आगे बढ़ाने में उन्होंने ने जो कोशिशें की हैं उनकी सराहना की जा सके। इस कार्यक्रम में नदी के वातावरण को बेहतर बनाने के लिए किए जा रहे कामों को सम्मानित किया गया और इसमें, डॉ. चंद्रशेखर, नगर स्वास्थ्य अधिकारी, KMC, स्वच्छ भारत मिशन (यू) और श्री राम चौरसिया, क्षेत्रीय स्वच्छता अधिकारी, KMC, श्री शशांक शुक्ला, जिला परियोजना अधिकारी, नमामी गंगे कार्यक्रम, डॉ. मनस उपाध्याय, प्रोफेसर और कार्यक्रम अधिकारी, NSS, कानपुर विश्वविद्यालय और कर्नल अनूप ओझा, कमांडिंग ऑफिसर, गंगा टास्क फोर्स (GTF) बटालियन कानपुर। उत्तर प्रदेश सरकार की माननीय विधायक एवं पूर्व मंत्री, श्रीमती नीलिमा कटियार ने कहा, “जब माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने लाल किले से स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की, तो बहुत से लोग सोच में पड़ गए कि वह ऐसा क्यों कर रहे हैं। आज हम उनकी दूर की सोच का प्रभाव देख रहे हैं। मैं एकजुट कानपुरिया द्वारा किए गए प्रयासों और परिवर्तन की तारीफ़ करती हूँ। मैं एकजुट कनपुरिया के आयोजन के लिए श्रमिक भारती की प्रशंसा करती हूँ और इसमें शामिल लोगों की लगन को भी देखा है। यह सचमुच क़ाबिल-ए-तारीफ़ है। हमें यह समझने की आवश्यकता है कि कचरा सिर्फ़ फेंकने की चीज नहीं है; इसका रीसाइकिलिंग भी होना चाहिए। अपने समाज में साफ़-सफ़ाई और सेहतमंद रहने के प्रति जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए आपकी इस पहल के प्रयास सराहनीय हैं।”श्रमिक भारती के कार्यक्रम प्रबंधक उत्कर्ष द्विवेदी, जो अपने समुदाय की बेहतरी के लिए इस पहल के साथ काम कर रहे हैं, कहते हैं, “एकजुट कनपुरिया का उद्देश्य कूड़े-कचरे के निपटारे से कहीं आगे तक फैला हुआ है; यह सम्मान, समावेशन और एक स्थायी और संपन्न शहरी माहौल को तैयार करने पर जोर देता है। यह परियोजना एक ऐसे भविष्य की कल्पना करती है, जहाँ कानपुर में अनौपचारिक बस्तियाँ आने वाली पीढ़ियों के लिए एक साफ-सुथरा, स्वस्थ और ज़्यादा समृद्ध समुदाय के निर्माण में सक्रिय रूप से योगदान दे सकें।” रानी का बगीचा के सामुदायिक राजदूत सुमित पांडे ने कहा, “हमें अपनी बस्ती में गंदगी दिखायी देती थी, लेकिन हम खुद को मजबूर महसूस करते थे। कूड़े-कचरे के निपटारे के बारे में कुछ भी पता नहीं था, फिर भी हमारे दिल में एक चाहत थी कि कुछ ऐसा हो जो सब कुछ बदलकर रख दे। फिर हमने सुना कि श्रमिक भारती के लोग स्वच्छता पर बैठक कर रहे हैं, तभी हमें लगा कि शायद यही मंच हमारी बस्ती की तकदीर बदलने का रास्ता है, इसलिए हम एकजुट कनपुरिया से जुड़ गए। उसके बाद सब कुछ बदल गया, हमारा पूरा नज़रिया ही बदल गया। हम पूरे मन से इसमें जुट गए और आज हम अपनी बस्ती को साफ करने में काफी हद तक सफल हो चुके हैं और हमने अपने ज़रूरतों और सबकों का एक दस्तावेज तैयार किया, ताकि हम अपने इलाके को साफ रखने के लिए स्थानीय संस्थाओं के साथ मिलकर काम कर सकें। अब हम एकजुट कनपुरिया के काम को आस-पास के इलाकों में भी ले जाना चाहते हैं, ताकि स्वच्छ भारत मिशन का सपना साकार हो सके।”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *