कानपुर

 

कानपुर में रावण का 155 साल पुराना मंदिर,दशहरे पर सिर्फ एक दिन खुलता है, भव्य शृंगार के साथ भक्तों ने किए दर्शन

 

भारत में दशहरा रावण दहन का प्रतीक है जहां रावण को बुराई के रूप में देखा जाता है और उसकी पराजय को विजय के रूप में मनाया जाता है लेकिन उत्तर प्रदेश के कानपुर के शिवाला इलाके में एक ऐसा मंदिर है, जहां रावण की पूजा होती है. यह मंदिर करीब 158 साल पुराना है और दशहरे के दिन विशेष रूप से इसके कपाट खोले जाते हैं. इस दिन यहां भक्तगण दशानन रावण की पूजा और आरती करते हैं, जो इसे एक अनोखी धार्मिक परंपरा का केंद्र बनाता है

 

आज भी विजयदशमी के अवसर पर नियमानुसार मंदिर के पट खोले गए जहां भक्तो की लंबी कतार देखने को मिली और बारी बारी भक्तों ने रावण की पूजा-अर्चना करी मान्यता है कि भगवान शिव के सबसे प्रिय भक्त रावण थे जिनको कई शक्तियां प्राप्त थी उनकी पूजा करने से बुद्धि बल की प्राप्ति होती है इस दिन सभी भक्त तेल का दीपक और तरोई का पुष्प चढाकर पूजा अर्चना करते हैं।

 

बता दें कि वर्ष 1868 में महाराज गुरु प्रसाद शुक्ल ने इस मंदिर का निर्माण कराया था. वे भगवान शिव के परम भक्त थे और रावण को शक्ति और विद्या का प्रतीक मानते थे. मंदिर में स्थापित रावण की प्रतिमा को शक्ति का प्रहरी माना जाता है और विजयदशमी के दिन विशेष श्रृंगार-पूजन किया जाता है. सुबह से ही मंदिर के कपाट खुल जाते हैं और शाम को आरती के साथ विशेष पूजा संपन्न होती है. सालभर मंदिर के कपाट बंद रहते हैं, और सिर्फ दशहरे के दिन ही इस मंदिर के दर्शन किए जा सकते हैं।

 

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