*सूफ़ी दरगाहें,धार्मिक नहीं बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक सौहार्द का केंद्र हैं,:सूफी कौसर मजीदी।*

कानपुर।कुंभ मेला की धार्मिक गतिविधियों में गैर हिन्दुओं को रोकने को लेकर,दिए गए बागेश्वर धाम के महंत धीरेन्द्र शास्त्री के बयान पर,सम्भल सांसद ज़िया उल रहमान बर्क के द्वारा सूफी दरगाहों पर गैर मुस्लिमों को आने से रोकने वाले बयान का, सूफ़ी खानकाह एसोसिएशन द्वारा कड़ा विरोध किया गया है।

इस संबंध में केंद्रीय कार्यालय कानपुर नगर से बयान जारी करते हुए, सूफी खानकाह एसोसिएशन राष्ट्रीय अध्यक्ष सूफी मोहम्मद कौसर हसन मजीदी एडवोकेट ने कहा कि,नए नए बने सांसद जी बिला वजह सूफ़ी दरगाहों,और सूफ़ी परंपरा के मामलों में राजनीति कर रहे हैं, उन्होंने कहा कि सांसद महोदय को ये पता होना चाहिए कि,सूफियों की दरगाहें कोई धार्मिक स्थल नहीं बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक सौहार्द का केंद्र हैं,पिछले हजार सालों से तमाम मजहब ओ मसलक के लोग सूफ़ी दरगाहों पर हाजिर होते हैं,और उनके आयोजनों में भी हिस्सा लेते हैं,उन्होंने कहा कि धीरेन्द्र शास्त्री के जिस बयान पर सांसद महोदय अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं,वो बयान किसी मजहब की रस्म ओ रिवाज में दूसरे मजहब के लोगों को रोकने संबंधी है,जबकि सूफियों की दरगाहों के आयोजन किसी खास मजहब से जुड़े नहीं हैं,उन्होंने कहा कि सांसद महोदय को,सूफी परंपराओं से संबंधित, ऐसे बेतुके, ग़ैर जिम्मेदार बयान देने से पहले सूफ़ी परंपराओं का अध्ययन करना चाहिए,उन्होंने उनकी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से भी अपील की कि वो इन सांसद महोदय को ऐसे गैर जिम्मेदार बयान जारी करने के लिए मना करें।

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