कानपुर

 

सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने के लिए धार्मिक स्थलों पर दावे के मुकदमों की बाढ़ रोकने के लिए, उच्च अदालतें जारी करें निर्देश-सूफी कौसर मजीदी।

 

कानपुर।सर्वे के नाम पर सम्भल में हुई घटना और न्यायिक प्रक्रिया कर दुरुपयोग करते हुए,किसी राजनीतिक या अन्य लाभ के लिए धार्मिक स्थलों पर दावे कर सांप्रदायिक उन्माद उत्पन्न करने वाली शक्तियों के खिलाफ,कार्रवाई की मांग सूफ़ी खानकाह एसोसिएशन द्वारा की गई है।इस संबंध में केंद्रीय कार्यालय कानपुर नगर से वक्तव्य जारी करते हुए सूफी खानकाह एसोसिएशन राष्ट्रीय अध्यक्ष सूफी मोहम्मद कौसर हसन मजीदी एडवोकेट ने कहा कि,भारतीय न्याय प्रणाली में किसी सिविल मुकदमें में किसी स्थान की भौगोलिक जानकारी और उसकी वस्तुस्थिति को जानने के लिए सिविल प्रोसिडिंग कोड में सर्वे का प्रावधान किया गया है, न्यायालय के द्वारा,उसी न्यायालय में प्रैक्टिस करने वाले किसी अधिवक्ता को सर्वे कमिश्नर नियुक्त किया जाता है,और वादी तथा प्रतिवादी और उनके अधिवक्ताओं की उपस्थिति में चीजों का भौतिक मुआयना करते हुए उसकी रिपोर्ट बनाना सर्वे कमिश्नर का काम होता है।इस सामान्य सी प्रक्रिया के दौरान इतनी बड़ी घटना घटित हो जाना बहुत से सवाल खड़े करती है।हम एक लोकतांत्रिक देश में रहते हैं जहां सारी चीजों का निर्धारण कानून और संविधान के अनुसार होता है।

उन्होंने कहा कि,सम्भल की हिंसा में जो कुछ भी हुआ जिस वजह से हुआ उसका मकसद क्या था, उसके पीछे कौन था? ये पता लगाना हुकूमत का काम है लेकिन एक बात जो तकलीफ देह है वो ये कि,जिस तरह से नौजवान वक्त से पहले हादसे का शिकार होकर दुनिया से चले गए,ये किसी मजहब, फ़िक्र या इलाके के लोगों का नुकसान नहीं है बल्कि देश का नुकसान है।

उन्होंने कहा कि न्यायिक प्रक्रिया के एक प्रावधान का दुरुपयोग करते हुए नए नए मुकदमे लाकर जिस तरह से सर्वे के नाम पर देश का सांप्रदायिक सौहार्द खराब किया जा रहा है वो शर्मनाक और अफसोसनाक है। उन्होंने कहा कि न जाने किस राजनीतिक अथवा अन्य कारणों से, सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने के मकसद से,धार्मिक स्थलों के स्वरूप को बदलने वाले मुकदमों की बाढ़ को रोका जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश के सुप्रीम कोर्ट को बढ़ती हुई ऐसी घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए कोई निर्देश जारी करना चाहिए।

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