अजमेर दरगाह के अपमान से विश्व स्तर पर भारत की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंच रहा है!

 

 

 

कानपुर 30/नवंबर ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ का आस्ताना न सिर्फ हिंदुस्तान बल्कि पूरे एशिया के लिए अमन व शांति का मरकज और भाई चारे की आला मिसाल है यह अस्ताना हिंदुस्तान की इज़्ज़त है शान है वकार है हिंदू ,मुस्लिम, सिख और इसाई सभी के लिए यह आस्था का केंद्र है जहां हर मजहब के लोग सुकून और चैन के लिए हाजिर होते हैं यह बयान हजरत मौलाना मोहम्मद हाशिम अशरफी राष्ट्रीय अध्यक्ष ऑल इंडिया गरीब नवाज काउंसिल ने अपने एक अखबारी बयान में किया उन्होंने कहा की ख्वाजा गरीब नवाज के आस्ताने की अजमत को दुनिया भर में तस्लीम किया गया है अमेरिका के पूर्व सदर बराक ओबामा समेत सैकड़ो आलमी रहनुमा यहां हाजिरी दे चुके हैं हिंदुस्तान के मौजूदा वजीर ए आज़म ने भी इस आस्ताने पर चादर पेश करके और गरीबों को लंगर खिलाकर अपनी कामयाबी के लिए दुआएं मांगी है

पंडित जवाहर लाल नेहरू जैसे लीडर ने कहा था कि ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह की सुरक्षा के संबंध में दुनिया के विभिन्न हिस्सों से हजारों पत्र प्राप्त हुए हैं, जिसके मद्देनजर मैं पूरी जिम्मेदारी के साथ घोषणा करता हूं कि इस पवित्र दरगाह की हर कीमत पर रक्षा की जाएगी!मौलाना अशरफी ने कहा कि अजमेर शरीफ की मुकद्दस दरगाह जो सदियों से मोहब्बत भाईचारे और अमन का केंद्र रही है आज शर पसंद अनासिर की तरफ से शर अंगेजी का निशाना बन रही है यह अस्ताना न सिर्फ हिंदुस्तान बल्कि पूरी दुनिया के लोगों के लिए रूहानी सुकून और चैन का मरकज है मौजूदा हालात में इस दरगाह के तक़द्दुस को मजरूह करने की कोशिश न सिर्फ मुल्क की साख को नुकसान पहुंचा। रही है बल्कि मुल्क की सकाफती और

मजहबी हम अहंगी पर हमला हैं और विश्व स्तर पर भारत की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंच रहा है

ऐसे वक्त में हुकूमत ए हिंद की जिम्मेदारी है कि मजहबी मक़ामात को तहफ्फूस फ़राहम करने वाले 1991 में पास किए गए कानून के तहत आस्ताने के तकद्दुस को बरकरार रखने के लिए जरूरी कदम उठाए और हर तरह की शरारत और फ़ितना से इसकी हिफाजत की जाए!

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