डॉ० बी०आर० अम्बेडकर के परिनिर्वाण दिवस पूर्ण बौद्ध परम्परा के अनुसार मनाया गया।
डा० अम्बेडकर प्रतिमा स्थल नानाराव पार्क में बोधिसत्व, भारत रत्न डॉ० बाबा साहेब बी०आर० अम्बेडकर के परिनिर्वाण दिवस पूर्ण बौद्ध परम्परा के अनुसार अध्यक्ष राम सजीवन के नेतृत्व में नाना राव पार्क अंबेडकर प्रतिमा पर मनाया गया। पूर्वान्ह आयोजित कार्यक्रम में त्रिशरण गमन, पंचशील ग्रहण पंचशील वंदना एवं महामंगल सुत्त के साथ करणीयमेत्त सुत्त संगायन का संगायन हुआ परित्राण पाठ के उपरान्त श्रद्धांजलि सभा का शुभ आरम्भ किया गया। इस आयोजन में प्रातः 06:00 बजे से ही डा० अम्बेडकर प्रतिमा पर पुष्प माला अर्पित किये गये। श्रद्धांजली सभा में वक्ताओं ने कहा कि डॉ० बाबा साहेब अम्बेडकर ने कहा था कि मुझे यह अच्छा नहीं लगता कि हम पहले भारतीय है, बाद में हिन्दु अथवा मुसलमान, मुझे यह स्वीकार नहीं है कि धर्म, संस्कृति, भाषा तथा राष्ट्र के प्रति निष्ठा से ऊपर है भारतीय होने की निष्ठा। मैं चाहता हूँ कि लोग पहले भी भारतीय हों अन्त तक भारतीय रहे और भारतीय के अलावा कुछ नहीं।वक्ताओं ने कहा कि डा० अम्बेडकर सम्पूर्ण जीवन अस्पृश्यता और न्याय के लिए लड़ते रहे!उन्होंने अस्पृश्यता मुक्त के लिए भगवान बुद्ध का रास्ता दिखाया था आज लाखों लोग बौद्ध धर्म को ही स्वीकार कर जुड़ रहे हैं। भारत में बाबा साहब के कारण ही महिलाओं को सम्मान मिला जो बहुत बड़ी उपलब्धि है। वक्त्ताओं ने कहा कि चीन, जापान कोरिया, वियत्तनाम समेत दुनिया के 40 देश बुद्ध के पंचशील व आष्टांगिक मार्ग की बदौलत दुनिया के महानतम उन्नति देश है भारत में शासन चलाने के तौर पर संबैधानिक लोकतंत्र का बिकल्प पस्तुत किया किन्तु यह बडी बिडम्बना पूर्ण परिस्थत है कि विश्व के सवश्रेष्ट संबैधानिक व्यवस्था के वावजूद बाबा साहव के सपनो के अनुरूप लोकराज्य स्थापित नहीं हो पाया है आज भी समता एवं बंधंता का धर्म स्थपित करने के लिये सभी भारतीयों को प्रयास करना चाहिए यही हम सबकी सही श्रद्धांजलि होगी सुनील गौतम ने किया।कार्यक्रम की अध्यक्षता पूज्य भंते दीप रत्न ने की बात संचालन सुनील गौतम ने किया कार्यक्रम में प्रमुख रूप से धर्म नंदिनी सुशील गौतम जगदीश राज बहादुर ओ पी गौतम आर वर्मा आर के प्रेमी ऊंचा बौद्ध एडवोकेट मिलिंद गौतम आदि लोग रहे।