कानपुर

 

कार्डियोलॉजी में रोगियों की संख्या 40 फीसदी बढ़ी

 

हृदय की पंपिंग 30 फीसदी घटी

 

कार्डियोलॉजी में रोगियों की संख्या 40 फीसदी बढ़ गयी हैं। रात का तापमान कम होने का असर शरीर की नसों पर भी पड़ने लगा है। नसें सिकुड़ने से हृदय की पंपिंग प्रभावित हो रही है।एलपीएस कार्डियोलॉजी इंस्टीट्यूट में हार्ट अटैक के लक्षण लेकर आ रहे रोगियों में हृदय की पंपिंग क्षमता 30 से 35 प्रतिशत कम पाई गई है। रोगियों की संख्या भी लगभग 40 फीसदी बढ़ गई है। हृदय रोग के अलावा अन्य रोगों की जटिलताएं बढ़ रही हैं।कानपुर के कार्डियोलॉजी इंस्टीट्यूट के निदेशक प्रोफेसर राकेश कुमार वर्मा ने बताया कि हृदय की सामान्य पंपिंग क्षमता 55 से 60 इजेक्शन फ्रैक्शन के बीच होती है। लेकिन, जो रोगी अस्पताल आ रहे हैं, उनकी जांच में पंपिंग क्षमता 30 से 35 ईएफ पाई जा रही है। गंभीर हालत में आने वाले कुछ रोगियों की क्षमता इससे भी कम होती है।

ठंड आते ही अस्पताल में रोगी बढ़ने लगे हैं। इमरजेंसी में औसत सवा सौ रोगी आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि यह सर्द और गर्म का मौसम है। इसमें लापरवाही अधिक होती है, जिससे एक्सपोजर हो जाता है। इसकी वजह से दिक्कत होती है। इस मौसम में अधिक एहतियात बरतना चाहिए। ठंड में शरीर की रक्तवाहिनियों में सिकुड़न भी आती है।जिससे खून का बहाव भी बहुत धीमा पड़ता है। हृदय को नसों और मस्तिष्क तक रक्त पहुंचाने में अधिक मेहनत करनी पड़ती है। इससे हृदय थकता है और पंपिंग बहुत ही ज्यादा प्रभावित होती है।इससे हार्ट फेल के लक्षण आने लगते हैं। इसके अलावा वाल्व की खराबी समेत अन्य हृदय रोगों, दमा, फेफड़ों की बीमारी आदि रोगों में भी जटिलताएं उभरने लगती हैं। सीने में दर्द होना, सांस फूलना, छाती पर भारीपन लगना, कमरे में चलने पर हंफनी आना, शरीर में सूजन आना, धड़कन बढ़ना आदि हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *