आपने कई गणेश मंदिरों में भगवान गणेश को उनके वाहन मूषक की सवारी करते देखा होगा, लेकिन मध्यप्रदेश के जबलपुर शहर में एक ऐसा गणेश मंदिर है, जहां भगवान मूषक की सवारी नहीं बल्कि घोड़े की सवारी करते हैं।
यही वजह है कि यहां भगवान गणेश की पूजा ‘कल्किगणेश’ के रूप में की जाती है। जबलपुर शहर की रतननगर की पहाड़ियों पर स्थित सुप्तेश्वर गणेश मंदिर में भगवान की स्वयंभू प्रतिमा स्थापित है। करीब 50 फीट की ऊंचाई पर भगवान गणेश की प्रतिमा शिला स्वरूप में हैं। यहां भक्त मनोकामनाओं के लिए अर्जी लगाते हैं मनोकामना पूरी होने पर भगवान गणेश को सिंदूर चढ़ाने की परंपरा है।रोचक है मंदिर स्थापना की कहानी
कुछ वर्षों पहले रतन नगर की पहाड़ियों को अवैध तरीके से तोड़ा जा रहा था। उसी दौरान एक महिला को एक शिला पर भगवान गणेश के दर्शन हुए और उसने वहां पूजा की, जिसके बाद धीरे-धीरे इस जगह की ख्याति बढ़ती गई। लोग यहां पूजा कर मन्नतें मांगने आया करते थे। लोगों की मन्नत पूरी होती गई और यहां आने वाले भक्तों की संख्या भी साल दर साल बढ़ती गई। भक्त यहां मनोकामनाओं के लिए अर्जी लगाते हैं।
घोड़े पर सवार हैं गजानन
भगवान गणेश का वाहन चूहा है लेकिन सुप्तेश्वर गणेश मंदिर में स्थित प्रतिमा में वे घोड़े पर सवार हैं। यहां स्थित भगवान गणेश की प्रतिमा काफी विशाल है, कहा जाता है कि प्रतिमा पाताल तक समाई है। सिर्फ भगवान गणेश की विशाल सूंड धरती के बाहर नजर आती है, जबकि शेष शरीर धरती के अंदर है। मंदिर करीब डेढ़ एकड़ क्षेत्र में फैला है। मंदिर में भगवान को सिंदूर और झंडा चढ़ाने तथा वस्त्र अर्पित करने की परंपरा है।🙏🙏🌹🙏🙏