कानपुर
कानपुर मेट्रो समयबद्ध मेट्रो निर्माण और जनसेवा के लिए है प्रतिबद्ध
यूपीएमआरसी सीसामऊ नाले में गिर रहे दूषित जल से जुड़ी तथाकथित खबरों के सिलसिले में मेट्रो द्वारा लगातार किए जा रहे प्रयासों से अवगत करना चाहता है।मैकरॉबर्टगंज में मेट्रो के निर्माण कार्य से पहले भी सीवर लाइन का पानी सीसामऊ नाले में हीे गिरता था। मेट्रो ने वहां तीन वर्ष पहले जलकल की अनुमति से पूर्व स्थिति के अनुरूप ही सीवर लाइन को महज कुछ मीटर पीछे डायवर्ट किया था। हैंडोवर होने के इतने साल बाद भी संबंधित संस्थाओं द्वारा नाले की स्थिति पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। हाल ही में उच्च प्रशासनिक अधिकारियों के निर्देश पर मेट्रो अधिकारियों ने दूसरे संस्थाओं के अधिकारियों के साथ क्षेत्र का संयुक्त सर्वे किया। सर्वे और बैठक में मिले निर्देशों का पालन करते हुए मेट्रो ने लगभग 1 सप्ताह पहले से नाले में गिर रहे पानी को रोकने के प्रयास आरंभ कर दिए हैं। मेट्रो ने बड़ा चौराहा में सीवर के पानी का सीसामऊ नाले में बहाव बंद करने के लिए रोका लगा दिया है। इस सीवरलाइन के पानी का बहाव एस टी पी वाजीदपुर मुख्य लाइन की तरफ शिफ्ट किया जा चुका है। मैकरॉबर्टगंज क्षेत्र में भी सीवर लाइन की पूरी तरह से सफाई कराई जा चुकी है। मेट्रो ने इस क्षेत्र में निर्माण कार्य के दौरान क्षतिग्रस्त हुए ब्रिक बैरल की जगह नया 45 मी का ब्रेक बैरल सीवर लाइन अगस्त 2024 में ही डलवा दिया था।
अवगत हों कि यूपीएमआरसी द्वारा सभी संबंधित सरकारी विभागों एवं आम जनता के साथ सुयोचित समन्वय स्थापित कर, पूरी जिम्मेदारी के साथ परियोजना का क्रियान्वयन किया जाता है। संज्ञान लें कि शहर में सीवर मैनेजमेंट, ट्रीटमेंट और जल प्रदूषण की निगरानी के लिए जो संस्थाएं जिम्मेदार हैं उनकी निगरानी के बावजूद वर्ष 2018 से ही नाले का पानी गंगा में गिरने की खबरें लगातार समाचारपत्रों में प्रकाशित होती रहीं हैं। ऐसे में अचानक मेट्रो पर दोषारोपण करना उचित नहीं है। गंगा में गिरने वाला गंदा और रसायन युक्त पानी मेट्रो द्वारा पैदा नहीं किया जाता। यूपीएमआरसी की नीति के अनुसार निर्माण कार्य के दौरान पर्यावरण संरक्षण सबसे मुख्य कारक होता है। गंगा नदी को निर्मल और पवित्र बनाए रखने के लिए यूपीएमआरसी पूरी तरह से कृतसंकल्पित है। इस दिशा में जॉइंट सर्वे और बैठकों में प्राप्त निर्देशों का यथोचित पालन किया जा रहा है।