हनुमान जी का प्रिय स्थल चित्रकूट

 

चित्रकूट का अध्यात्मिक रुप से बड़ा ही महत्व है,चित्रकूट में ही “भगवान श्रीराम” ने ‘तुलसीदासजी’ को दर्शन दिए थे और यह संभव हुआ था,”हनुमान जी” की कृपा से।चित्रकूट में आज भी “हनुमान जी” वास करते हैं

 

जहां भक्तों को दैहिक और भौतिक ताप से मुक्ति मिलती है।कारण यह है कि यहीं पर “भगवान राम” की कृपा से हनुमान जी को उस ताप से मुक्ति मिली थी जो लंका दहन के बाद “हनुमान जी” को कष्ट दे रहा था।

 

इस विषय में हनुमानजी ने प्रभु राम से कहा कि,’लंका जलाने के के बादशरीर में तीव्र अग्नि बहुत कष्ट दे रही है।’ तब श्रीराम ने मुस्कराते हुए कहा कि-‘चिंता मत करो,चित्रकूट पर्वत पर जाओ।वहां अमृत तुल्य शीतल जलधारा बहती है।उसी से कष्ट दूर होगा।’

 

यहां हनुमान जी का एक मंदिर है जिसे “हनुमान धारा मंदिर” कहते हैं जो इस घटना की याद दिलाती है।यहां भगवान श्रीराम का एक छोटा सा मंदिर भी है।हनुमान जी के दर्शन से पहले नीचे बने कुंड में भरे पानी से हाथ मुंह धोना कोई भी भक्तगण नहीं भूलता है।

 

कुछ सालों पहले यहां पंचमुखी हनुमानजी भी प्रगट हुए हैं।यहां सीढ़ियां कहीं सीधी हैं तो कहीं घुमावदार।कुछ ऊपर “माता सीता रसोई” है।जहां माता सीता ने भगवान श्रीराम और देवर लक्ष्मण के लिए कंदमूल से रसोई बनाई थी।माता सीता ने जिन चीजों से यहां रसोई बनाईथी उसके चिन्ह आज भी यहां हैं।

 

जयश्रीराम जयहनुमान

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