उलमा अहले सुन्नत मसावती बोर्ड की एक बैठक मुफ्ती हसीब अख्तर शाहिदी की अध्यक्षता में जाजमऊ में सम्पन्न हुयी
कानपुर उलमा अहले सुन्नत मसावती बोर्ड की एक बैठक मुफ्ती हसीब अख्तर शाहिदी की अध्यक्षता में जाजमऊ में सम्पन्न हुयी जिसमें वर्तमान मेयर प्रमिला पाण्डेय द्वारा मुस्लिम घनी आबादियों में आजादी से पूर्व बन्द पड़े मन्दिरो की खोज कर उनको पुनः चालू करने का जो कार्य चल रहा है यह इन्तिहाई चिन्ता का विषय एवं आपसी सौहार्द के लिए नुकसानदेह है। हमारा जीवन चाहे, अनचाहे प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष रूप से एक दूसरे से जुड़ा हुआ है। चाहे हमारे निजी विचार व धार्मिक धारणाएं भिन्न क्यो न हो। हमे यह भी सोचना होगा कि हमारा पड़ोसी किस तरह से सोचता है। इसके कर्मों के मुख्य प्रेरक के श्रोत क्या है। यह जानकारी वर्तमान माहौल में तालमेल पैदा करने मे सहायक होगी। सन 1931 में कानपुर में एक दंगा हुआ जिसमें भूसा टोली, नील वाली गली. चटाई मोहाल, सिरकी मोहाल, लाठी मोहाल आदि क्षेत्रों में मुस्लिम समाज रहा करता था तो वही कर्नलगंज, बेकनगंज आदि क्षेत्रों में हिन्दू समाज निवास करता था। इन क्षेत्रो में दोनो के अपने अपने पूजा हेतु मन्दिर मस्जिद कायम थे। परन्तु आबादियों के ट्रासफर होने के कारण यह पूजा स्थल बन्द हो गये। जिसे आजादी के पश्चात भी बन्द रहने दिया क्योकि इन इलाको में पूजास्थल के इर्द गिर्द उन धर्मों की आबादी शून्य होने के कारण नहीं चालू किया गया। लेहाजा अब पनुः इनके चालू करने से वहा पर बाहर से आने वाले हिन्दू एवं मुसलमानो के कारण शान्ति व्यवस्था को ठेस पहुंच सकती है। इसी कारण 1991 में धर्मस्थल विधेयक लाया गया ताकि आपसी सौहार्द को बचाया रखा जा सके। लेकिन फिर भी अगर इन स्थानों का प्रयोग करना चाहते है तो इन धर्मस्थलो के निकट आबाद अधिकांश दलित समाज के अम्बेडकरवादी लोग रहते है। अगर यहां इन समाज के महारथियों एवं समाज सुधारको के शिक्षाकेन्द्र स्थापित कर ज्ञान के केन्द्र कायम किये जाये तो ज्यादा बेहतर होगा इसमें आधुनिक भारत के नायक संविधान निर्माता बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर, ज्योतिबाफुले, सावित्रिबाईफुले, पेरियार, राजा सुहेलदेव, बुद्ध आदि की शिक्षाओं के प्रचार प्रसार तथा उनके नाम पर मन्दिरो का निर्माण किया जाये जिससे देश की एकता अखडता एवं प्रभुसत्ता को बल प्रदान होगा। इस अवसर पर आपका खैर अन्देश हाजी मोहम्मद सलीस, उलमा अहले सुन्नत मसावती बोर्ड कानपुर। मुफ्ती हसीब अख्तर शाहिदी, इमामे ईदगाह जाजमऊ। मौलाना अब्दुर्रहीम कादरी, ईमान मोहम्मदी मस्जिद तलाक महल कानपुर। मौलाना गुलाम कादिर शाहिदी, नायब इमाम ईदगाह जाजमऊ। सैयद मोहम्मद अतहर, प्रतिनिधि काजी-ए-शहर कानपुर। हाजी इश्तियाक निजामी, गुफरान अहमद चांद, हाजी रिजवान अंसारी, हाजी मो० जमील कुरैशी, हाजी मो० हारून आदि उपस्थित रहे।