कानपुर
केडीए की जमीन पर किसानों का मिला कब्जा, जांच में हुआ बड़ा खुलासा
केडीए ने अपनी आवासीय योजनाओं के लिए अधिग्रहित की गई जमीनों पर अवैध कब्जे के खिलाफ कार्रवाई को और भी तेज कर दी है।केडीए ने अब तक 6.65 अरब रुपये की जमीन चिह्नित की है जिस पर किसानों ने मुआवजा लेने के बाद भी कब्जा कर रखा है। केडीए इन जमीनों के दाखिल खारिज को निरस्त कराकर अपने नाम दर्ज करा रहा है।और आवासीय योजना लाने के लिए केडीए अपनी जमीनों को खोजने में जुटा है। जमीन अधिग्रहण के लिए मुआवजा देने के बाद भी कई जगह किसान जमीन पर अभी भी कब्जा किए हुए हैं ।और दस्तावेजों में दाखिल खारिज अपने नाम कर रखा है। जांच में अब तक केडीए 6.65 अरब रुपये की जमीन चिह्नित कर चुका है।और इनके दाखिल खारिज निरस्त कराके केडीए अपना नाम राजस्व अभिलेखों में चढ़वा रहा है।इसी कड़ी मे एक बार फिर से केडीए ने बारासिरोही में अपनी 2.7 हेक्टेयर जमीन पकड़ी जिसमें फर्जी तरह से किसानों के नाम भी दर्ज है, जबकि केडीए इन जमीनों के बदले मुआवजा दे चुका है। जमीन की बाजारी कीमत लगभग 99.95 करोड़ रुपये है।केडीए इन जमीनों से किसानों के नाम खारिज कर अपने नाम दर्ज कराने में जुट गया है। इस हिसाब से अब तक करीब 7.65 अरब रुपये की जमीन अपने नाम दर्ज कराने जा रहा है।केडीए उपाध्यक्ष मर्दन सिंह गर्ब्याल और सचिव अभय पांडेय के आदेश पर जोन दो के विशेष कार्याधिकारी डा. रवि प्रताप सिंह ने अपनी अधिग्रहण वाली जमीन की जांच भी शुरू कराई।
इसके अलावा भूमि पर फर्जी तरीके से वर्तमान खतौनी वर्ष में किसानों का नाम दर्ज होने की जांच चल रही , जबकि विशेष कार्याधिकारी ने साफ कहा है कि जमीन पर कब्जा करने वालों पर कार्रवाई की जाएगी।साथ ही केडीए अब जमीन के रखरखाव करने वाले अमीनों की भी जांच कराएगा। अमीनों की जिम्मेदारी है कि जमीन पर कब्जा न हो और राजस्व अभिलेखों में केडीए के नाम भी पूरी तरह दर्ज हों।