कानपुर
500 करोड़ के नुकसान के बाद, अब फैक्टरियों के बाहर लगे सीसीटीवी कैमरे
कानपुर में अब पान मसाला कारोबारियों की फैक्टरियों के बाहर सीसीटीवी कैमरे लगने का काम शुरू हो गया है।अब एसजीएसटी विभाग के अधिकारी सीसीटीवी कैमरों से निगरानी भी करेंगे। इसके लिए लखनपुर स्थित एसजीएसटी कार्यालय में कमांड सेंटर बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
माना जा रहा है कि इस व्यवस्था के बाद फैक्टरियों के बाहर अफसरों की 24 घंटे निगरानी कुछ दिनों में खत्म भी हो जाएगी। तीन महीने से हो रही निगरानी के कारण पान मसाला से जुड़े उत्पादों के कारोबार को 500 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।और कानपुर नगर, कानपुर देहात में बड़े पैमाने पर पान मसाला, गुटखा, खैनी और तंबाकू का उत्पादन किया जाता है। यहां पर एसएनके, गगन, सर, रायल, मधु, शिखर, केसर, सिग्नेचर शुद्ध प्लस, तिरंगा, किसान ब्रांड का उत्पादन भी किया जाता है।इसके अलावा लखनऊ, नोएडा, दिल्ली से तैयार माल शहर में आता है। पान मसाला कारोबार में कर चोरी रोकने के लिए पहले से ही ऑनलाइन निगरानी भी हो रही थी। इसके बाद इकाइयों के बाहर अफसरों की 24 घंटे की निगरानी रोस्टर के हिसाब से शुरू कर दी गई थी।मिली जानकारी के अनुसार, प्रमुख सचिव एम देवराज ने कुछ समय पहले हुई बैठक में अफसरों को फैक्टरियों के बाहर सीसीटीवी कैमरे लगवाने के निर्देश दिए थे, पर कारोबारियों ने मना कर दिया था।सूत्रों ने बताया कि अब कारोबारी अपनी फैक्टरियों के बाहर सीसीटीवी कैमरे लगवाने को तैयार हो गए हैं। कैमरे लगने भी लगे हैं। देश में ऐसा पहली बार होगा कि ट्रेड विशेष की निगरानी सीसीटीवी से करवाई भी की जाएगी।इसके अलावा विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि फैक्टरियों के बाहर सीसीटीवी कैमरे और हार्डवेयर का काम पूरा होने वाला है। सॉफ्टवेयर यानी कमांड सेंटर पर काम करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
कैमरों का एक्सेस विभाग के दो से तीन शीर्ष अफसरों के पास ही रहेगा। दि किराना मर्चेंट एसोसिएशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष अलंकार ओमर का कहना है कि अरबों का कारोबार निगरानी से प्रभावित हुआ है।और पान मसाला और लोहा इकाइयों की 24 घंटे निगरानी के लिए विभाग के अफसरों की ड्यूटी रोस्टर के अनुसार लगाई गई है जो गुरुवार को खत्म हो रही है।निगरानी के लिए 38 टीमें लगाई गई थीं। हालांकि अभी लोहा इकाइयों में कैमरे नहीं लगे हैं। अब संभव है कि जल्द ही इनमें भी कैमरे लगने शुरू हो जाएं।
पान मसाला इकाइयों में उत्पादन घटकर 30 प्रतिशत पर आने से सुपाड़ी कारोबार 90 प्रतिशत तक गिरावट आई है। पहले सामान्य दिनों में शहर में 1000 से 1200 बोरी सुपाड़ी की खपत होती थी जो अब 50 बोरी ही रह गई है।एक बोरी में 50 किलो सुपाड़ी होती है। औसतन शहर में प्रतिदिन चार से पांच करोड़ रुपये की सुपाड़ी की बिक्री होती थी।
और कत्था, लौंग, इलायची, पिपरमेंट, जड़ी-बूटी, गरी, अलग-अलग प्रकार के सुगंध का व्यापार सिमटकर 30-40 प्रतिशत ही रह गया है। प्रतिदिन 50 से 100 पेटी कत्था का कारोबार होता था जो अब 20-25 पेटी ही रह गया है।
एक पेटी में 20 किलो कत्था आता है। औसतन हर दिन 50 लाख रुपये का कत्था बिकता था। और इसके अलावा लौंग-इलायची की खपत सामान्य दिनों में 50-50 बोरी थी, जो अब 10-15 बोरी ही रह गई है।
और इसके अलावा पान मसाला में अलग-अलग प्रकार के सुगंध का इस्तेमाल किया जाता है। इसकी खपत भी 25-30 प्रतिशत ही रह गई है।इसके अलावा पैकेजिंग कारोबार पर भी तगड़ा असर भी पड़ रहा है। उत्पादन घटने से कर्मचारियों और श्रमिकों को 15 दिन की छुट्टी भी दे दी गई है।