या अल्लाह मुल्क में खुशहाली तरक्की दे

 

 

 

कानपुर 14 जनवरी खानकाहे हुसैनी के ज़ेरे एहतिमाम रसूल ए खुदा के दामाद, इस्लाम के चौथे खलीफा, शेर ए खुदा हज़रत मौला अली (रजि०अ०) का जशन ए विलादत मौला अली धूम-धाम, शान ओ शौकत, अकीदत के साथ खानकाहे हुसैनी हज़रत ख्वाजा सैय्यद दाता हसन सालार शाह (रह०अलै०) की दरगाह मे मनाया गया।नमाज़ ए ज़ोहर जशन ए विलादत मौला अली की शुरुआत तिलावते कुरान ए पाक से हुई, शोरा कराम ने नात मनकबत पेश की जिसमें “अली के नाम का सिक्का जहाँ मे चलता है यह वह चिराग है जो आँधियों मे जलता है”, “अली के नाम से तूफान भी खौंफ खाते है जिन्हें यकीन नही वो डूब जाते है, फरिश्ते कब्र मे कुछ और पूछते ही नही जुबान पे नाम ए अली सुनकर लौट जाते है”, “ख़ामोश है तो दीन की पहचान अली है, अगर बोले तो लगता है कुरान अली है, कुरान तो देता है हमें दावतें इमान, और इमान यह कहता है मेरी जान अली है मोहम्मद मुनीर खाँ कादरी ने हज़रत मौला अली की जिन्दगी और उनके बताए हुए रास्तों पर चलने व नमाज़ की पाबंदी पर ज़ोर दिया बुराइयों को दूर करने का हल अल्लाह का घर चलो नमाज़ पढे़ अल्लाह के रसूल ने फ़रमाया अली का जिक्र करना, चेहरा देखना भी इबादत है, अली जन्नत और जहन्नुम को बांटने वाले हैं जो अली से जुदा हुवा वो मुझसे जुदा हुवा और जो मुझसे जुदा हुवा वो अल्लाह से जुदा हुव। दुआ के बाद खानकाहे हुसैनी के बाहर राहगीरों, बच्चों को मिष्ठान वितरण किया गया।जशन मे इखलाक अहमद चिश्ती मोहम्मद मुबीन खान अज़हरी, मोहम्मद जावेद, मोहम्मद रज़ा खान, युनुस खान, जमालुद्दीन फारुकी, मोहम्मद राहिल, मोहम्मद इदरीस, एजाज़ रशीद आदि लोग मौजूद थे।

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