आज सकट चौथ

संकष्टी चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को समर्पित होती है, एकादशी की तरह ही चतुर्थी का व्रत भी एक महीने में दो बार रखा जाता है,

 

कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सकंष्टी चतुर्थी कहा जाता है, तो वहीं शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है, हर साल माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सकट चौथ व्रत रखा जाता है, सकट चौथ को तिलकुटा चौथ, वक्र-तुण्ड चतुर्थी और माघी चौथ के नाम से भी जाना जाता है।

 

सकट चौथ के दिन महिलाएं अपनी संतान की लंबी उम्र और बेहतर स्वास्थ्य की कामना के लिए व्रत रखती हैं, आसान भाषा में कहें तो माघ माह की संकष्टी चतुर्थी को सकट चौथ कहते हैं, माघी संकष्टी चतुर्थी व्रत में भगवान गणेश और चंद्रदेव की उपासना की जाती है, इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से सुख-समृद्धि का आगमन होता है।

 

पंचांग के मुताबिक, सकट चौथ की तिथि 17 जनवरी को सुबह 04:06 पर शुरू होगी, तिथि का समापन 18 जनवरी को सुबह 05:30 पर होगा, उदयातिथि के अनुसार, 17 जनवरी शुक्रवार को सकट चौथ का पर्व मनाया जाएगा, संकष्टी चतुर्थी पर चंद्रमा की पूजा करने का विधान है, इसके बाद ही महिलाएं अपने व्रत का पारण करती हैं, 17 जनवरी यानी सकट के दिन चंद्रोदय का समय रात 09:09 पर है।

 

यह व्रत संतान प्राप्ति का वरदान देने वाला और संतान के जीवन के सभी विघ्न दूर करने वाला माना गया है, सकट चौथ का व्रत भगवान गणेश को समर्पित है और महिलाएं इसे अपने बच्चों की लंबी उम्र और सफल भविष्य के लिए करती हैं।

 

संकष्टी चतुर्थी यानी सकट चौथ के दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं, रात के समय चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही यह व्रत खोला जाता है, इसलिए संकष्ट चतुर्थी के दिन चंद्रमा के दर्शन और पूजा का विशेष महत्व होता है, तिल चौथ के दिन गणपति की पूजा में तिल के करछुल और मिठाई रखकर चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत खोलते हैं।

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