कानपुर नगर

 

शुद्ध प्लस के मालिक का बेटा रेप केस में बरी, लड़की नाबालिग होने की बात साबित नहीं कर पाई, कानपुर कोर्ट ने आरोप को निराधार पाया

 

मार्च, 2019 में कल्याणपुर इंदिरा नगर के एक अपार्टमेंट में रहने वाली लड़की ने शुद्ध प्लस पान मसाला कारोबारी दीपक खेमका के बेटे आयुष खेमका पर शादी का झांसा देकर रेप करने की FIR दर्ज कराई थी। FIR में आयुष के माता-पिता को भी मारपीट करने का आरोपी बनाया गया था। केस का ट्रायल पूरा होने पर आज 17 जनवरी को एडीजे योगेश कुमार की कोर्ट ने साक्ष्यों के अभाव में आरोपी आयुष खेमका को बरी कर दिया।

 

लड़की ने अपनी शिकायत में कहा था कि आयुष खेमका ने उसके साथ फेसबुक पर दोस्ती करी इसके बाद उन दोनों के बीच चैट होने लगी । एक दिन आयुष ने उसे मिलने के लिए बुलाया । इसके बाद दोनों मिले और फिर कई मुलाकातें हुईं । इस दौरान आयुष ने मुझे शादी के लिए प्रपोज भी किया । आयुष ने मुझसे कहा कि वह शादी करेगा जिस कारण वह उसके झांसे में आ गई।

 

इसके बाद एक दिन मुलाकात के बाद आयुष मुझे एक होटल में ले गया । वहां मुझ पर शारीरिक संबंध बनाने का दबाव बनाया । आयुष ने मुझे यकीन दिलाया कि हम दोनों की तो शादी होने वाली है। इसलिए यह सब करने में कोई हर्ज नहीं है । इसके बाद अलग-अलग दिनों में आयुष ने मेरे साथ कई बार शारीरिक संबंध बनाए । इसके बाद जब मैंने उस पर शादी का दबाव बनाया, तो वह मुझे लेकर अपने माता-पिता के पास गया। बाद में आयुष और उसके माता-पिता ने शादी करने से इनकार कर दिया। इसके बाद धीरे-धीरे उसने मुझसे मिलना भी बंद कर दिया ।

 

 

लड़की के नाबालिग होने का दावा झूठा निकला कोर्ट ने कहा

पीड़िता घटना के समय बालिग थी ऐसी दशा में आयुष खेमका पर लैंगिक अपराधों से बालकों का सरंक्षण अधिनियम, 2012 के प्रावधान लागू नहीं होते। पीड़िता के बयान कोर्ट का विश्वास जगाने में असफल रहे हैं। उसके बयानों की पुष्टि अन्य किसी साक्ष्य से होती नहीं दिख रही। पीड़िता की ओर से आयुष खेमका पर लगाए गए आरोप संदेहास्पद दिखते हैं।

 

कोर्ट ने कहा- अभियोजन की ओर से पेश साक्ष्य से अभियुक्त पर लगाए गए आरोप संदेह से परे साबित नहीं होते। इस पर कोर्ट में अभियुक्त आयुष खेमका की ओर से आरोपित अपराध किए जाने के संबंध में संदेह उत्पन्न हो गया है।

 

कोर्ट ने कहा- अभियुक्त आयुष खेमका को संदेह का लाभ देते हुए दोषमुक्त किया जाता है। अभियुक्त जमानत पर है। अभियुक्त के व्यक्तिगत बंधपत्र निरस्त कर जमानतियों को उनके दायित्वों से मुक्त कर दिया है ।

 

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