कानपुर

 

आई.एम.ए. कानपुर सभागार में हार्ट अटैक एवं कोरोनरी धमनी रोग (CAD) के जोखिम का पूर्वानुमान” जानने के लिये नवीनतम जांचो पर चर्चा की गयी जिसमे ‘लिपोप्रोटीन ए (LPQ) जो हाल ही में कोरोनरी धमनी रोग एवं हृद‌याघात का नवीनतम एवं महत्वपूर्ण कारक निकल कर सामने आया है।इस संबंध में मुख्य वक्ता के-केयर अस्पताल के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ० अमित कुमार बताया कि उच्च अध्ययन से पता चलता है कि भारतीयो सहित दक्षिण एशियाई दिशो में एलपी-P (LPA) के स्तर पश्चिमी देशों की तुलना में अधिक है। एलपी- एक LDL कण है जिसमें अतिरिक्त एपोलियो प्रोटीन (१) अणु होता है जो कि एथेरोस्क्लेरोसिस (धमनी में कोलेस्ट्राल का जमाव) एवं थ्रोम्बोसिस (रक्त जमानेवाला) को बढ़ाता है। भारतीयो में कोरोनरी धमनी रोग की शुरुआत जल्दी और अधिक आक्रामक होती है जो उच्च एलपी-ए (LPQ) स्तरों और मधुमेह व मेटाबोलिक सिन्ड्रोम जैसे अन्य कारको से जुड़ी होती है ।एलपी-ए(LP) का स्तर 30 mg/dL से अधिक होने पर कोरोनरी आर्टरी डिसीज CAD का जोखिम दो से चार गुना बढ़ जाता है। भारत में एलपी-ए (LPG) का रुटीन स्क्रीनिंग नहीं किया जाता है इसकी जांच उन लोगों में की जाती है जिनके परिवार में समय से पहले हार्ट अटैक का इतिहास हो या सामान्य लिपिड प्रोफाइल के बावजूद बार-बार हार्टअटैक है हो रहा हो । एलपी-P (LPG) का स्तर मुख्य रूप से आनुवांशिक होता है और जीवन शैली में बद‌लाव या अधिकतर लिपिड कम करने वाली द‌वाओं से प्रमावित नही होता है। इसके सम्भावित उपचार के लिए PCSK9 इनहिबिटर, प्लाज्मा ए फेरिसिस, लैपोडिसिरन, पेलाकार्सन नाम की दवाइ‌यों का प्रयोग किया जाता है।डॉ० अमित कुमार ने विचार व्यक्त करते हुए सुझाव दिया कि भारतीय आबादी में उच्च जोखिम वाले जनसंख्या में एलपी-९ (LPQ) टेस्टिंग को प्राथमिकता दी जानी चाहिए भारत में कोरोनरी आर्टरी डिसीज एवं हार्टअटैक की अधिकता को देखते हुए इसके लिए जल्दी हस्तक्षेप बीमारी के बोझ को काफी हद तक कम किया जा सकता है।इस सीएम-ई प्रोग्राम में कॉर्डियोलॉजी क्षेत्र में आधुनिकतम तकनीक एवं इलाज पद्धति पर चर्चा की गई जिसमे कई आनेभाने विशेष‌ज्ञों ने अपने-अपने विचार प्रस्तुत किये, सीएमई प्रोग्राम में मुख्य रूप से डॉ नंदिनी रस्तोगी, अध्यक्ष आई.एम.ए. कानपुर, डॉ० विकास मिश्रा सचिवआईएमए, डॉ. अनुराग मेहरोत्रा, डॉ अमित कुमार, डॉ० गौरव दत्ता, डॉ० दीपक श्रीवास्तव, मौजूद रहे I

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