*अर्शे आज़म पर कोई गया ही नहीं, ऐसा रुतबा किसी को मिला ही नहीं।* =====================

कानपुर 27 जनवरी खानकाहे हुसैनी के ज़ेरे एहतिमाम हज़रत मोहम्मद मुस्तफा (स०अ०व०) के शब ए मेराजुन्नबी के मुबारक मौके पर खानकाहे हुसैनी हज़रत ख्वाजा सैय्यद दाता हसन सालार शाह (रह०अलै०) में जशन ए ईद मेराजुन्नबी की महफिल सजाकर नबी करीम की सुन्नतों पर अमल करने पर ज़ोर दिया गया।

 

जशन ए मिलादुन्नबी की शुरुआत हाफिज़ मोहम्मद अरशद वास्ती ने तिलावते कुरान पाक के साथ की शोरा कराम ने हुज़ूर सरकार की शान में नात मनकबत पढ़ी जिसमें मोहताज नही हूँ मैं दुनियां में किसी का, सदका मुझे मिलता है बहुत आले नबी का, ऐ फरिश्तों वो सुल्तान ए मेराज है तुम जो देखोगे हैरान हो जाओगे, और नबियों को ये मर्तबा ही नहीं अर्शे आज़म पे कोई गया ही नहीं ऐसा रुतबा किसी को मिला ही नहीं जैसा रुतबा तेरा आज की रात है।

 

खादिम खानकाहे हुसैनी इखलाक अहमद चिश्ती ने कहा कि अल्लाह के प्यारे रसूल हज़रत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहु अलैहिवसल्लम ने फ़रमाया कि अगर आपका पड़ोसी आपके दुर्व्यवहार की वजह परेशान है तो आप मुसलमान नहीं हो सकते ,अब पड़ोसी को देखा जाए तो एक घर दूसरे घर का पड़ोसी है,एक मोहल्ला दूसरे मोहल्ले का पड़ोसी है, एक शहर दूसरे शहर का पड़ोसी है, एक प्रदेश दूसरे प्रदेश का पड़ोसी और एक देश दूसरे देश का पड़ोसी है इस तरह पूरी दुनियां आपस में पड़ोसी है अगर लोग सिर्फ इस एक शिक्षा पर अमल कर ले और अपने पड़ोसी का ख्याल रख लें तो पूरी दुनियां में शांति स्थापित हो जायेगी। हम सबको अगर अमन चाहिए तो खुद को उसी सांचे में ढालना होगा आज कल लोग सिर्फ अच्छी बाते बता रहे हैं उस पर खुद अमल नहीं करते यही वजह है कि समाज में अच्छाई कम बुराइयां ज़्यादा फैल रही हैं। हम सब नबी के बताए रास्ते पर चलें और लोगों के लिए राहत और आसानी पैदा करने वाले बन जाएं। जशन ईद मेराजुन्नबी की सजी महफिल में मौजूद लोगो ने एक दूसरे को और पूरे आलम को मुबारकबाद दी।

 

सलातो सलाम के बाद दुआ हुई दुआ में अल्लाह से मेराजुन्नबी के सदके में हमारे प्यारे मुल्क में अमनों अमान कायम रख, हम सबको नबी करीम की सुन्नतों पर अमल करने वाला बना, बुराईयों से दूर कर, नमाज़ की पाबंदी करने, हक़ बात कहने-जुल्म के खिलाफ आवाज़ बुलंद करने वाला बना, मुल्क में खुशहाली तरक्की देने की दुआ की।

 

जशन में इखलाक अहमद चिश्ती, मुनीर अहमद कादरी, हाफिज़ मोहम्मद कफील हुसैन खाँ, हाफिज़ मोहम्मद अरशद वास्ती, हाजी मोहम्मद शाबान, फाज़िल चिश्ती, अबरार वारसी, परवेज़ आलम वारसी, मोहम्मद हफीज़, एजाज़ रशीद, मोहम्मद लारैब, मोहम्मद शाहिद चिश्ती, एजाज़ अहमद, मोहम्मद आमिर, जमालुद्दीन, मोहम्मद फैज़ान अज़हरी, ज़ुबैर सकलैनी, खादिम खानकाहे हुसैनी अफ़ज़ाल अहमद आदि लोग मौजूद थे।

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