सूफी सय्यद शाह बाबा शहीद के आस्ताने आलिया पर उर्स कुल के साथ सम्पन्न
इंसानियत का पैग़ाम आम करो, लोगों का हक़ ना मारो : सय्यद हम्मादुल हसन चिश्ती
उस्मानपुर ईदगाह स्थित हिन्दू मुस्लिम एकता के प्रतीक सूफी (संत) सय्यद शाह बाबा शहीद के उर्स के मौके पर देर रात जलसा मुकम्मल होने के बाद शाहिबे सज्जादा नबीरह सुल्तानुल हिन्द ख्वाजा गरीब नवाज जिगर गोशा फखरुद्दीन गरदीजी शहजादा ए फरीदुल हसन चिश्ती फरीदुल मशाएख सय्यदुल शादात साहेबजादा सय्यद हम्मादुल हसन चिश्ती गद्दीनशीन आस्ताना आलिया अजमेर शरीफ राजस्थान के द्वारा मजार पर हाजिरी के बाद अकीदतमंद लोगों ने देर रात तक हाजिरी की। रात 3 बजे अजमेर शरीफ से आए पीरजादे सय्यद साहब ने शाही गुस्ल की रश्म के बाद सन्दल पेश किया। आस्ताने पर सुबह कव्वाल साहब ने कव्वाली ‘सद्का हसनैन का दीजिये मेरे ख्वाजा’ या रसूल अल्लाह मेरी हाजत रवाई कीजिये, मौला अली के वास्ते मुश्किल कुशाई कीजिये, दीजिये हसनैन का सदक़ा तुफ़ैले फ़ातिमा, सैय्यदा ज़ैनब के सदके रहनुमाई कीजिये। कव्वाली के बाद रंग, आज रंग है रि मां, रंग है रि. मेरे ख्वाजा के घर रंग है रि। पढ़ा इसके बाद पीरजादे शहजादा ए गरीब के द्वारा कुल शरीफ पढ़ कर उर्स मनाया गया। यह उर्स खादिम आस्ताना इशहाक अली गुड्डू भाई के देख रेख में मनाया जाता है। उर्स के दौरान सय्यद हम्माद मियाँ ने कहा कि जब तक बिका ना था तो कोई पूछता न था। तुमने खरीद कर अनमोल बना दिया। अस्हाब व आले रसूल का दामन मज़बूती से थाम लो। ईमान पर क़ायम रहो, हक़ और सच्चों के साथ हो जाओ। इंसानियत का पैग़ाम आम करो, लोगों का हक़ ना मारो। रंगकुल की रस्म सुबह 10:55 पर अदा की गई। लोगों ने एक दूसरों को उर्स की मुबारकबाद दी। इस उर्स के आयोजन में कई धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किये गये। उर्स के बाद लंगर (भंडारे) का आयोजन हुआ। उर्स में राजस्थान के अजमेर शरीफ से आए सय्यद हम्मादुल हसन चिश्ती, खादिम इशहाक अली के अलावा हजारों की संख्या में अकीदतमंद लोग मौजूद थे।