अपने किरदार से लोगों का दिल जीतें, मोहब्बत का पैगाम पहुंचाएं
काज़ी ए शहर हाफिज़ मामूर अहमद जामई ने मदरसा जामे उल उलूम में बैठक के बाद पैग़ाम जारी किया
कानपुरः- त्योहार किसी भी धर्म का हो खुशियां बांटने और मुहब्बत का पैगाम आम करने के लिए आता है , यह लोगों को जोड़ने का काम करता है । लेकिन त्योहारों के अवसर पर पुलिस और प्रशासन का अलर्ट हो जाना क्या हमें सोचने के लिए मजबूर नहीं करता कि त्योहार के इस अवसर पर तो आम इंसानों और प्रशासन को और अधिक संतुष्ट होना चाहिए, ना कि परेशान। हमें चाहिए कि हम त्योहारों के अवसर पर अपने गांव, इलाकों, मोहल्लों, शहर और जिले के माहौल को अच्छा बनाए रखें , ताकि किसी को कहने या उंगली उठाने का अवसर नहीं मिले। आने वाले दिनों में 13 मार्च की रात मुसलमानों की तरावीह और हिन्दुओं का होलीका दहन साथ-साथ होगा वहीं अगले दिन 14 मार्च को माहे रमज़ान मुबारक के दूसरे जुमे के साथ एक अहम त्योहार होली भी है, होली से पहले और बाद में अन्य त्योहार भी मनाये जाने की परम्परा रही है। हम सभी लोग देश के माहौल से वाकिफ हैं, ऐसे में हमें विशेष एहतियात की जरूरत है। इन विचारों को काजी ए शहर कानपुर हाफिज़ मामूर अहमद जामई ने मदरसा जामे उल उलूम जामा मस्जिद पटकापुर में आयोजित बैठक के बाद मुसलमानों के नाम पैगाम जारी करते हुए व्यक्त किया। काज़ी ए शहर ने कहा भारत देश हम सब का है , सदियों से हम यहां अमन के साथ रहते आए हैं देश को आजाद कराने में हमारे उलेमा की बहुत बड़ी बड़ी कुर्बानियां हैं , इसको जानने के लिए हमें अपने इतिहास से परिचित होना पड़ेगा । लेकिन कुछ असामाजिक तत्व हर जगह मौजूद रहते हैं जिनका प्रयास होता है कि हमारे इलाकों और मोहल्लों में अशांति फैले और वह विभिन्न तरीके से इसका गलत फायदा उठा सकें। रहमत वाले नबी हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहू अलैही वसल्लम का उम्मती होने की हैसियत से लाजमी है कि हम अपनी जिम्मेदारीयों को समझें, सिर्फ इबादत से नहीं बल्कि अपने कामों और किरदार से लोगों का दिल जीतें, उन तक मोहब्बत का पैगाम पहुंचाएं। देश के मौजूदा हालात को अपने लिए अवसर समझें और अपने प्यारे नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की रहमत वाली शिक्षाओं से देश बंधुओं को परिचित कराएं।