*होली व जुमा पर सोशल मीडिया में आपत्तिजनक पोस्टों से बचें।*

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कानपुर 12 मार्च खानकाहे हुसैनी हज़रत ख़्वाजा सैय्यद दाता हसन सालार शाह (रह०अलै०) की कर्नलगंज स्थिति दरगाह में नज़र व विशेष दुआ का आयोजन किया गया जिसमें मुल्क सूबे व शहर में अमनों अमान भाईचारा सद्भाव कायम रहने की दुआ की।

 

खानकाहे हुसैनी के खादिम इखलाक अहमद चिश्ती ने दुआ की जिसमें अल्लाह अपने हबीब, मौला अली, गरीब नवाज़ के सदके मुल्क सूबे व शहर में अमनों अमान सद्भाव व भाईचारा कायम रहने, हमारे मुल्क सूबे व शहर में खुशहाली तरक्की देने, हिन्दू मुस्लिम एकता को मजबूती देने, दहशत व नफरत फैलाने वालों का खात्मा करने की दुआ की।

 

दुआ के बाद खादिम खानकाहे हुसैनी ने कहा खानकाहों से सदैव गंगा जमुनी तहज़ीब, हिन्दू मुस्लिम एकता भाईचारा का संदेश दिया जाता है खानकाहों पर सभी धर्मों के मानने वाले अपनी आस्था रखते हैं। रमजानुल मुबारक माह व बिरादने वतन का त्योहार होली पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है कई बार रमज़ान का मुबारक दिन जुमा व होली एक ही दिन पहले भी पड़ चुके और अहले वतन ने सद्भाव एकता भाईचारे के साथ दोनों पर्व मनाये है। मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना हिन्दी है हम वतन है हिंदुस्तान हमारा। खानकाहे हुसैनी कानपुर शहरवासियों से अपील करती है कि जुमेरात की दिन होलिका दहन व रमज़ानुल मुबारक माह का दूसरा जुमा होली के दिन है जुमेरात को ईशा व तरावीह की नमाज़ पढ़कर जिन चौराहों पर होलिका दहन हो रहा हो उन चौराहों से निकलने में एहतियात करें, जुमा की नमाज़ अपने घर के पास वाली मस्जिद में अदा करें, मिश्रित आबादी वाले क्षेत्रों में रंग चल रहा है तो नौजवान दूसरे रास्तों से मस्जिदों को पहुंचे, जिन मस्जिदों में दूसरी शिफ्टों में मस्जिदों में नमाज़ का एहतिमाम होता है नौजवान कोशिश दूसरी शिफ्ट में नमाज़ अदा कर गंगा जमुनी तहज़ीब का मुसलमान जो किरदार हमेशा पेश करता है पेश करें, किसी भी तरह की अफवाहों से परहेज़ करें सोशल मीडिया पर कोई भी भड़काऊ व जज़्बाती पोस्ट जिससे किसी भी हम वतन के दिल को ठेस पहुंचे ऐसी पोस्टों को लाईक/शेयर करने से परहेज़ करें। जुमा की नमाज़ अदा कर अपने घर में परिवार के साथ अपना दिन बिताएं व इबादत करें।

 

दुआ में इखलाक अहमद चिश्ती, हाफ़िज़ मोहम्मद कफील, हाफिज़ मुशीर अहमद, हाफिज़ हसीब अहमद, हाफ़िज़ मोहम्मद शोएब, हाजी गौस रब्बानी, परवेज़ आलम वारसी, मोहम्मद फाजिल चिश्ती, मोहम्मद जावेद अबरार अहमद वारसी, मोहम्मद शाहिद चिश्ती, अफ़ज़ाल अहमद आदि लोग मौजूद थे।

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