आखिर बंदी की कगार पर क्यों पहुंच गई कानपुर की सबसे बड़ी सरकारी डेयरी

 

कानपुर: कभी सूबे की पहचान रहा कानपुर का पराग डेयरी प्लांट, अब बंद होने की कगार पर है. प्लांट पर काम कर रहे कुछ कर्मचारियों को पूरा वेतन तक नहीं मिल रहा है. कई एकड़ में फैले कानपुर पराग दुग्ध प्लांट में मात्र गिनती के 8 से 10 कर्मचारी बचे हैं. कर्मचारियों की मानें स्थानीय प्रशासन से लेकर मुख्यमंत्री पोर्टल तक यह शिकायत की गई है, लेकिन इस पर कोई एक्शन होता नहीं दिख रहा. कर्मचारियों ने बताया कि बीच में एक उम्मीद जगी थी, कि शायद यह प्लांट फिर चालू होगा, क्योंकि तब 90-90 लाख की कई मशीनें लगाई गई थी. मशीन तो लगी लेकिन आज तक चालू नहीं की गई. प्रशासन प्रभारी दिनेश त्रिपाठी ने बताया कि यहां शासन की कमी होने के चलते यह प्लांट बंद होने की कगार पर आ गया. उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री पोर्टल सहिसत शासन को कई पत्र लिखे गए. कोई भी जिम्मेदार व्यक्ति इसे चालू कराने पर ध्यान नहीं दे रहा है. प्रशिक्षिका रत्ना चौहान ने बताया कि पराग के पास कानपुर में लगभग 56 एकड़ जमीन है. वहीं बड़ी-बड़ी मशीन भी लगी हुई है. नए प्लांट को लगे हुए लगभग लगभग 5 साल होने जा रहे हैं, लेकिन शासन स्तर से इस प्लांट को चालू करने की कोई कवायद नहीं की गई. लाखों की कई अच्छी मशीन लाई गई, लेकिन उनको चालू तक नहीं किया गया. एक समय में पराग ने घर-घर पहुंचने का काम किया. अब प्राइवेट दूध जैसे की नमस्ते इंडिया और अमूल ने अपनी पहचान बनाई है. लेकिन कानपुर में लोगों की पसंद अभी भी पराग ही है.रत्ना चौहान ने कहा कि हम लोगों ने मुख्यालय को कई बार पत्र लिखा. बातचीत हुई तो वहां से यही आश्वासन मिला, कि जल्दी पराग चालू हो जाएगा. यह आश्वासन पिछले कई सालों से मिल रहा है. जमीनी स्तर पर बात की जाए तो अभी कुछ भी नहीं है. यह प्लांट लगभग बंद होने की कगार पर है. 2017 से हम लोगों का फंड काटा जा रहा है, लेकिन जमा नहीं किया जा रहा है. लखनऊ में जो कर्मचारी कार्य कर रहे हैं, उनको समय से सैलरी मिल रही है. समय से उनका फंड जमा हो रहा है, लेकिन कानपुर में कार्यरत कर्मचारियों की ना तो पूरी सैलरी आ रही है और ना ही फंड जमा हो रहा है. कानपुर का पराग डेयरी प्लांट कभी अलग पहचान रखता था. यहां के प्लांट से दूध की सप्लाई उत्तर प्रदेश के कई शहरों में होती थी. बड़ी तादात में प्लांट में कर्मचारी काम करते थे. पराग का सादा दूध, पराग का मीठा दूध, पराग का दही, पराग का पेड़ा, पराग का खीर जैसे प्रोडक्ट पराग ने मार्केट में लांच किए, जो घर-घर की पसंद बने. डिमांड इतनी हुआ करती थी, कि पराग भरपाई नहीं कर पता था. अब बुरे सपने की तरह यह प्लांट कानपुर में बंद होने की कगार पर है. अब इस प्लांट के संचालन को लेकर कर्मियों की निगाहें योगी सरकार के विधायकों व मंत्रियों पर टिकी हैं.

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