उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में एक प्राचीन शनिदेव का मंदिर स्थित है ये मंदिर प्रतापगढ़ में विश्वनाथगंज बाजार से करीब 2 किलोमीटर दूर कुश्फरा के जंगल में बना है इस मंदिर पर लोगों की गहन श्रद्धा और आस्था है।
ऐसी मान्यता है कि यहां पर केवल दर्शन मात्र करने आने वाले भी शनिदेव की कृपा के पात्र बन जाते हैं। ये अवध क्षेत्र के एकमात्र पौराणिक शनि धाम होने के कारण भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। हर शनिवार को इस मंदिर में 56 व्यंजनों का भोग लगाया जाता है।
कहा जाता है कि ये शनि धाम कुछ इस तरह बना है कि एक श्रीयंत्र की तरह हो गया है इसके दक्षिण की ओर प्रयाग, उत्तर की ओर अयोध्या, पूर्व की ओर काशी, और पश्चिम में तीर्थ गंगा स्वर्ग लोक कड़े मानिकपुर है। मानिकपुर मां शीतला का सिद्ध पीठ मंदिर है शनि मंदिर के विषय में कई कथाएं प्रचलित हैं ऐसी ही एक कथा के अनुसार यहां पर शनिदेव की प्रतिमा स्वयंभू है जो कुश्फरा के जंगल में एक ऊंचे टीले में दबी थी। जहां से महंत स्वामी परमा महाराज ने इसको खोजकर मंदिर का निर्माण करवाया।
हर शनिवार लगता है मेला
आपको बता दें कि इस मंदिर में प्रत्येक शनिवार के दिन भक्तों की भीड़ उमड़ती है, और यहां भव्य मेला भी लगता है। इसके साथ ही हर साल अखंड राम नाम जप का वार्षिकोत्सव भी आयोजित किया जाता है। इस अवसर पर विशाल भंडारे का आयोजन किया जाता है, जो सुबह से लेकर रात तक चलता रहता है। इस अवसर पर पूरे मंदिर और शनिदेव की प्रतिमा को पुष्पों से सज्जित किया जाता है। यहां पर आकर शनि महाराज की पूजा आराधना करने से भक्तों के सभी कष्टों का निवारण होता है, और जीवन में शुभता का आगमन बना रहता है।
ॐ शं शनैश्चराय नमः