रामेश्वरम में प्रभु राम तो कानपुर में माता सीता ने प्रतिमा स्थापित कर की थी पूजा, अदभुत है इस मंदिर का इतिहास, जाने कैसे

 

कानपुर, हमारा देश आस्था का देश कहा जाता है. यहां लोग अपनी समस्याओं को लेकर भी जाते है और उनकी समस्याएं और बधाए दूर भी होती है भारत में ऐसे मंदिर है जिनका इतिहास बहुत पुराना है ऐसा कहा जाता है कि आज भी उस मंदिर का इतिहास जिंदा है. ऐसा ही मंदिर कल्याणपुर के इंदिरा नगर में स्थित मां आशा देवी मंदिर का है बताया जाता है कि त्रेतायुग कालीन आशा देवी मंदिर प्राचीन शैली से निर्मित हैं। महंत आशुतोष गिरि के मुताबिक, मां आशा देवी के पूजन के बाद ओंकारेश्वर महादेव, भैरो बाबा और शनि महाराज के दर्शन किया जाता है। मुख्य मंदिर परिसर की छत पर आज भी कोई निर्माण नहीं किया गया है। मां खुले आसमान के नीचे रहकर भक्तों पर अपनी कृपा लुटाती हैं।

 

 

 

ऐसे पहुंचें मंदिर पहुंचने है रास्ता.

 

कानपुर. रामादेवी की ओर से आने वाले भक्त कल्याणपुर होकर जीटी रोड के किनारे स्थित मंदिर पहुंचते हैं। सचेंडी, घंटाघर, परेड, चुन्नीगंज और शहर के किसी भी भाग से आने वाले भक्त कल्याणपुर चौराहे से मंदिर तक आते हैं।

 

नवरात्रि में होती है काफ़ी भीड़

 

 

कानपुर, नवरात्र में पूरे देशभर से भक्त दर्शन पूजन व शृंगार के लिए आते हैं। मनोकामना पूर्ण होने पर भक्त माता को हलवे का भोग लगाकर भंडारा कराते हैं।

यहां मां एक शिला में विराजमान हैं, जिनका दर्शन करने देश भर से लोग आते हैं। सच्चे मन से देवी मां को पुष्प अर्पित करने से सभी आस पूरी होती है। -अयोध्या गिरी, महंत।

 

 

 

नवरात्रि में पूजन के बाद होते है विशाल भंडारे,

 

कानपुर, मां आशा देवी मंदिर में अपनी फरियाद लाने वाले भक्त नवरात्रि में पूजन के बाद यहां विशाल भंडारे का आयोजन करते हैं उनका मानना है कि उन्होंने अपनी मनोकामना मां आशा देवी मंदिर में आकर कह दी है अब उनकी मनोकामना जल्द पूरी हो जाएगी मनोकामना पूरी होने से पहले वह इस विशाल भंडारे का आयोजन करते हैं,

 

 

चुनरी और ईट चढ़ाने से भी होती है पूरी मनोकामना

 

 

कानपुर, मां आशा देवी मंदिर के महंत ने बताया की मंदिर में चुनरी बांधने व ईट चढ़ाने से भी मनोकामना पूर्ण होती है. कई भक्त यहां मन्नत मांगते हैं और चुनरी बाँधते है. मगर विशेष कृपा पाने के लिए यह ईट भी चढ़ाई जाती है.

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