हिन्दू पंचांग के मुताबिक वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को अक्षय तृतीया मनाई जाती है। अक्षय शब्द का अर्थ है ‘कभी कम न होने वाला’। इसलिए इस दिन कोई भी जप, यज्ञ, पितृ-तर्पण, दान-पुण्य करने का फल कभी कम नहीं होता है।

 

*धरतेरस की तरह अक्षय तृतीया पर भी माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है।*

हिंदू धर्म के मुताबिक वास्तु शास्त्र में भी अक्षय तृतीया का काफी महत्व बताया गया है। अक्षय तृतीया के दिन वास्तु शास्त्र के कुछ उपायों को आजमाने से घर में मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।

 

*इन वास्तु टिप्स को अक्षय तृतीया के दिन करें फॉलो…*

अक्षय तृतीया के दिन घर की साफ-सफाई अच्छे से की जानी चाहिए। घर में कहीं भी मकड़ी की जाल और झूठे बर्तन घर में बिल्कुल नहीं होने चाहिए। घर के प्रवेश द्वार हमेशा साफ होने चाहिए।

 

अक्षय तृतीया के दिन आप अपने घर में लगे सारे नल को पूरी तरह से जांच लें…अगर कहीं भी कोई लीकेज हो रहा हो तो उसे फौरन सही कर लें। वास्तु शास्त्र के मुताबिक नल से पानी टपकना अशुभ माना जाता है।

 

घर हो, दुकान हो, या दफ्तर हो, हर जगह कोशिश करें कि पैसे को उत्तर या पूर्व दिशा में रखें। घर की तिजौरी या कोई कीमती सामना का बॉक्स भी हमेशा उत्तर या पूर्व दिशा में ही रखना चाहिए। वास्तु के मुताबिक इस दिशा में धन रखने से आर्थिक समस्याएं नहीं होती है।

 

अक्षय तृतीया के दिन घर में उत्तर दिशा में दर्पण (शीशा) लगाना शुभ माना जाता है। वास्तु के मुताबिक दिशा में दर्पण रखने से सकारात्मक ऊर्जा घर पर बनी रहती है, जिससे आयु और धन में भी बढ़ोतरी होती है।

 

अक्षय तृतीया पर घर में शाम के मुख्य द्वार के दोनों ओर घी के दीपक जलाने चाहिए। दीपक लगाते वक्त ये ध्यान रखें कि दीपक दक्षिण दिशा की तरफ होना चाहिए। ऐसा करने से घर में माता लक्ष्मी आती हैं।

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