आज 6 मई को आईएमए ने बनाया विश्व अस्थमा दिवस

 

जनता को अस्थमा के अवगुणों से किया जागरूक

 

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन कानपुर शाखा द्वारा 6 मई को मनाए जाने वाले “विश्व अस्थमा दिवस” के संबंध में 6 मई एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस को आईएमए कानपुर की अध्यक्ष डॉ. नंदिनी रस्तोगी, ने कानपुर के वरिष्ठ डॉक्टरों के साथ अस्थमा रोग के अवगुणो के बारे मे संयुक्त रूप से संबोधित किया

 

विश्व अस्थमा दिवस के अवसर पर डॉ ए के सिंह ने अस्थमा के बचाव के लिए एलर्जी और धूल धुआं आदि चीजों से बचने के लिए कहा और उन्होंने बताया इससे बचाव का सबसे अच्छा रास्ता पंप का है क्योंकि पंप की दवा डायरेक्ट फेफड़ों तक जाती है और जो भी सिरप या मेडिसिन होती है वह ब्लड में सर्कुलेट होने के बाद हार्ट से होते हुए जाती है जिससे कि उसका प्रभाव देर में होता है और पंप से ली हुई दवा मुंह से डायरेक्ट सीधे फेफड़ों तक जाती है और वह जल्दी असर करती है अस्थमा के लिए यह फर्स्ट लाइन कहीं जाने वाली दवा मानी जाती है और इसके लिए उन्होंने कुछ लक्षण बताएं और कहा कि यह 1 से 15 वर्ष की आयु तक अगर अस्थमा होता है तो इसको ठीक होने में कम समय लगता है लेकिन यही अस्थमा अगर 30 वर्ष के ऊपर होता है तो इस पर स्पष्ट रूप से नहीं कहा जा सकता कि यह ठीक हो जाएगा

 

इस बारे में जानकारी देते हुए IMA प्रेसिडेंट कानपुर डॉक्टर नंदिनी रस्तोगी ने बताया कि अस्थमा के बारे में जनसामान्य को जागरूक करना और उसके प्रभावी नियंत्रण के लिए शिक्षा और सहयोग को बढ़ावा देना है। इस वर्ष अस्थमा दिवस 2025 थीमः “सभी के लिए इनहेलर उपचार सुलभ बनाएं”। वाइसप्रेसिडेंट डॉक्टर कुणाल सहाय ने जानकारी दी कि अस्थमा एक ऐसी बीमारी है जो बच्चे से लेकर बड़े तक को परेशान करती है और विगत दिनों में टेक्नोलॉजी और साइंस के मिश्रण से इसके इलाज में काफी नवीनतम दवाइयां उपलब्धि हैं जो की इस्तेमाल करBने में बेहद आसान है

 

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