*लेबर कॉलोनी का मालिकाना हक- जो जहां है, जितना है,जैसा है, जिसके पास है, उसी को उसका मालिक बना दिया जाए-मैथानी*

आज लखनऊ बापू भवन में उत्तर प्रदेश परामर्श दात्री समिति श्रम मंत्रालय की बैठक प्रमुख सचिव श्रम की अध्यक्षता में संपन्न हुई। जिसमें विधायक सुरेंद्र मैथानी जी द्वारा,पूर्व में उत्तर प्रदेश सदन में लगाई गई याचिका एवं लंबे समय से किये जा रहे संघर्ष के, उन सारे बिंदुओं को शामिल किया गया, जिन पर लेबर कॉलोनी के निवासियों के मालिकाना पर फैसला काफी कुछ उनके पक्ष में आए ।

विधायक जी ने बैठक मे कहा कि मैं जीवन के 42 वर्ष लेबर कॉलोनी में रहा हूं मुझसे बेहतर पूरे उत्तर प्रदेश में वहां का दर्द और वहां का निवारण दूसरा कोई नहीं बता सकता। उन्होंने उक्त बैठक में कहा की कॉलोनीयों के स्वामित्व के मामले में, जो जहां है,जितना है, जिसके पास है और जैसा है,उसी हालत में, उसी को उसका मालिकाना हक, मात्र टोकन मनी ले करके, दे दिया जाए।यह इसका व्यावहारिक पक्ष है। यदि हम कानूनी दांव पेज और दशकों पुराने, अव्यावहारिक नियमों के हिसाब से, कोई नियमावली बनाएंगे, तो वह सफल नहीं होगी। इसलिए हमें व्यावहारिक पक्ष के आधार पर ही, जनहित में अपनी संस्तुति करके, कैबिनेट को प्रस्ताव भेजना चाहिए।

*विशेष सचिव द्वारा कहा गया कि पहले खाली पड़ी हुई जगह पर कमर्शियल स्पेस बना लिया जाए और फिर मूल आवंटी और उसके बाद सिग्मी लोगों और उसके बाद बड़े लोगों के काबिज मकान को,अलग-अलग दर पर,उन्हें आवंटन करने की पॉलिसी बनाई जाए।या पहले खाली पड़े हुए पार्क में, स्थलों पर, अपार्टमेंट की तर्ज पर फ्लैट बनाया जाए और उनका आवंटन करके, तब इस कॉलोनी को डिमोलिश करके, दोबारा इसका निर्माण कर,जो जिस श्रेणी में आता हो,उनको उनकी पात्रता के आधार पर,निर्माण कंप्लीट उपरांत आवंटन किया जाए। जिस पर क्रोधित होकर, विधायक सुरेंद्र मैथानी जी ने उक्त प्रस्ताव को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि यह मैं किसी कीमत पर नहीं होने दूंगा।आपने पिछले 60 साल में ₹ 1 का भी मेंटेनेंस नहीं कराया, आप किस आधार पर उसको अपनी संपत्ति मान रहे हो।और हम लोगों ने, हमारी सरकार ने और हमने अपने मुख्यमंत्री जी ने वहाँ की सड़क,नाली,सीवर, बिजली, विकास कार्यों और पार्कों का विकास कराकर, उसे रहने योग्य बनाया है।और अब आप,अपना मालिकाना हक समझकर,आधार हीन,कोई भी ऐसा निर्णय नहीं कर सकते, जो वहां की जनता की मूल भावनाओं के खिलाफ हो। मैं इसका विरोध करता हूं और उसको सड़कों पर उत्तर के भी,किसी भी कीमत पर नहीं होने दूंगा। यह पूरी तरह जन विरोधी है।मुझे समझाने का प्रयास न करें।क्योंकि मैं वहां के कष्ट को जानता हूं और मैं वहां का 42 साल निवासी रहा हूं। पहले मुझसे बात करो,तब कोई कदम,आप आगे बड़ा पाओगे।*

इतने में पूरी बैठक में सन्नाटा छा गया।

बैठक के अंत में प्रमुख सचिव सभापति ने कहा की विधायक जी का पक्ष व्यावहारिक है इस पर शास्त्री नगर कॉलोनी और कानपुर की श्रम कॉलोनी से ही इसका सर्वे अध्ययन प्रारंभ करें जिसको 6 महीने के अंदर पूर्ण कर लिया जाए।जिसमें लोकल अथार्टी, नगर निगम अथवा के डी ए अथवा आवास विकास को सम्मिलित करके, उसमें टेक्निकल दृष्टि से जे ई तथा पीडब्ल्यूडी के लोगों को भी शामिल करके और परामर्शदात्री के सदस्य के नाते विधायक जी को भी शामिल करके, इसकी एक अध्ययन रिपोर्ट अभिलंब तैयार की जाए। जिस पर कोई सकारात्मक रिपोर्ट तैयार करके शासन ,कैबिनेट को प्रेषित की जाए। जिससे जल्द से जल्द इस पर सकारात्मक निर्णय आ सके।

इस पर विधायक जी ने प्रमुख सचिव को इस सकारात्मक दृष्टि में आगे कार्यवाही हेतु बड़ी, बैठक के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया।

उक्त बैठक में प्रमुख रूप से प्रमुख सचिव श्रम एम के शानमुगा सुंदरम जी, विधायक सुरेंद्र मैथानी जी एवं विधायक मंजू शिवाज जी एवं श्रम आयुक्त मारकंडे शाही जी तथा विशेष सचिव कुणाल सिल्कू, विशेष सचिव निलेश कुमार सिंह,उपश्रमायुक्त पंकज सिंह राणा, उपश्रमायुक्त श्रीमती रचना केसरवानी,उप श्रमायुक्त जय प्रताप जी, उपश्रमायुक्त अनुराग मिश्रा गाजियाबाद एवं विधायक सुरेंद्र मैथानी, विधायक मंजू सिवाच एवं अनिल उपाध्याय आदि लोग प्रमुख रूप से थे

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