कानपुर नगर
अमाया हॉस्पिटल में लापरवाही से मरीज की मौत, परिजनों और वकीलों ने किया हंगामा – जांच और कार्रवाई की मांग
कानपुर के गीता नगर क्रॉसिंग स्थित अमाया नर्सिंग होम में इलाज के दौरान गंभीर लापरवाही सामने आई है, जिसके चलते एक मरीज की मौत हो गई। इस घटना के बाद मृतक के परिजनों के साथ आए वकीलों ने अस्पताल में जमकर हंगामा और बवाल किया। फिलहाल पुलिस ने मामले को शांत करवाते हुए मृतक की बॉडी को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है, लेकिन परिजनों ने अस्पताल प्रशासन के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।
मृतक मनोज कुमार जोकि पेशे से एक किसान थे और मुंह के कैंसर से पीड़ित थे। उनके रिश्तेदार अरुण राठौर के अनुसार, मनोज कुमार का इलाज कानपुर के प्रसिद्ध रिजेंसी अस्पताल में डॉ. नारायण प्रताप सिंह के देखरेख में चल रहा था। डॉक्टर ने उन्हें आयुष्मान भारत योजना के तहत इलाज का लाभ दिलवाने का भरोसा दिलाया और ऑपरेशन के लिए गीता नगर क्रॉसिंग स्थित अमाया अस्पताल में भर्ती कराया। वहां डॉ. जितेन्द्र यादव द्वारा उनका ऑपरेशन किया गया। ऑपरेशन के बाद मरीज अपने घर वापस चले गए लेकिन कुछ दिन बाद ही मनोज कुमार की हालत बिगड़ने लगी और उन्हें मल मार्ग से रक्तस्राव होने लगा। परिजन उन्हें 19 मई को दोबारा अमाया अस्पताल लेकर पहुंचे। यहां दोबारा लाने पर परिजनों को एक अजीब स्थिति देखने को मिली – मरीज का इलाज करने वाले डॉक्टर जितेन्द्र यादव थे, लेकिन पर्चे पर डॉक्टर अविनाश सिंह भदौरिया का नाम अंकित था, जबकि मरीज को देखने डॉक्टर नारायण सिंह आते थे।
गौरतलब है कि डॉक्टर नारायण प्रताप सिंह और डॉ. जितेन्द्र यादव दोनों ही रिजेंसी अस्पताल से जुड़े हैं, जबकि डॉ. अविनाश भदौरिया अमाया अस्पताल के डॉक्टर हैं। परिजनों का आरोप है कि यह पूरा मामला मेडिकल प्रशासन की अनदेखी और निजी अस्पतालों के बीच अनुचित सांठगांठ को उजागर करता है।
परिजनों ने यह भी बताया कि इलाज के लिए जो फंड आयुष्मान कार्ड और मुख्यमंत्री राहत कोष से स्वीकृत हुआ था, वह कैंसर की कीमो और रेडिएशन थेरेपी के लिए रिजेंसी अस्पताल के खाते में गया, जबकि वास्तविक इलाज अमाया अस्पताल में जारी रहा। इसके अलावा इलाज के दौरान तीमारदारों से नगद में महंगी दवाएं मंगवाई गईं।
परिजन अरुण राठौर ने आरोप लगाया कि अमाया अस्पताल में न तो पर्याप्त जांच सुविधाएं हैं, न ही इमरजेंसी के समय कोई डॉक्टर उपलब्ध रहता है। जब उन्होंने इस बारे में डॉक्टर नारायण से शिकायत की तो उन्होंने सबकुछ ठीक होने का आश्वासन दिया, लेकिन इलाज में लगातार लापरवाही बरती जाती रही, जिससे अंततः मरीज की मौत हो गई।
परिजनों का यह भी कहना है कि बड़े अस्पताल छोटे निजी अस्पतालों को इलाज का ठेका दे देते हैं, जिसमें मरीजों के साथ धोखा होता है। नाम किसी डॉक्टर का होता है और इलाज कोई और करता है। इस दोहरी व्यवस्था का खामियाजा सिर्फ मरीज और उनके परिवार को भुगतना पड़ता है।
मरीज की मौत के बाद परिजनों और उनके साथ मौजूद वकीलों ने अमाया अस्पताल में जमकर हंगामा किया और मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की। उन्होंने आरोप लगाया कि अस्पताल प्रशासन की लापरवाही और डॉक्टरों की मिलीभगत से एक निर्दोष व्यक्ति की जान चली गई है, और अब प्रशासन को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए ताकि भविष्य में किसी और को इस तरह की पीड़ा से न गुजरना पड़े।