*यह एक तीर्थस्थल है जिसे पक्षी तीर्थ कहा जाता है*
यह तीर्थस्थल वेदगिरि पर्वत के ऊपर है। ऐसी मान्यता है कि यहाँ दिन में 11 बजे से दोपहर 2 बजे के बीच पक्षियों के दर्शन होते हैं। मान्यता है कि ये हजारों पक्षी कैलाश पर्वत से आते हैं । कई सदियों से दोपहर के वक्त यहाँ गरूड़ का एक जोड़ा सुदूर आकाश से उतरकर आता है और फिर मन्दिर के पुजारी द्वारा दिए गए खाद्यान्न को ग्रहण करके आकाश में लौट जाता है ।
वहाँ के पुजारी के मुताबिक सतयुग में ब्रह्मा के 8 मानसपुत्र शिव के शाप से गरूड़ बन गए थे। उनमें से 2 सतयुग के अंत में , 2 त्रेता के अंत में , 2 द्वापर के अंत में शाप से मुक्त हो चुके हैं । कहा जाता है कि अब जो 2 बचे हैं , वे कलयुग के अंत में मुक्त होंगे , लेकिन इन सब बातों का कोई प्रमाण नहीं है।
इन्हें स्थानीय लोग चमरगिद्धा , मलगिद्धा के नाम से पुकारते हैं। सैकड़ों लोग उनके दर्शन करने के लिए वहाँ पहले से ही उपस्थित रहते हैं।
पक्षी तीर्थ की एक कहानी यह भी कही जाती है —
ऐसा कहा जाता है कि एक समय , दो ऋषि इस वेद गिरी पहाड़ी पर रहते थे और वे भगवान शिव की पूजा करते थे। एक दिन , वे शिव के दर्शन करने गए , लेकिन वे अपनी पहचान न होने के कारण शिव के दर्शन नहीं कर पाए। तब शिव ने उन्हें गिद्धों के रूप में वरदान दिया और कहा कि वे हर रोज मन्दिर में दर्शन करने आएंगे। तब से , गिद्धों को पक्षी तीर्थ में भगवान शिव के प्रति समर्पित माना जाता है।
पक्षी तीर्थ एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है और यह भगवान शिव के प्रति भक्ति और प्रेम का प्रतीक है।
यह स्थान पक्षियों के प्रति प्रेम और दया का संदेश भी देता है। पक्षी तीर्थ एक पहाड़ी पर स्थित है , जो इसे एक शांत और सुन्दर स्थान बनाता है। वेद गिरी पर्वत पर (पक्षी तीर्थ) ही रुद्रकोटि शिव मन्दिर स्थित है। लगभग 500 सीढ़ियाँ चढ़कर इस मन्दिर तक पहुॅंचा जा सकता है। शिव मन्दिर में विराजित भगवान शिव को वेदगिरिश्वर के नाम से पूजा जाता है। यह मन्दिर एक प्राचीन मदिर है और इसकी वास्तुकला अद्वितीय है।
मन्दिर के पास ही शंकरतीर्थ नाम का एक सरोवर है। मन्दिर में पक्षियों को विशेष रूप से पाला जाता है और उन्हें नियमित रूप से भोजन दिया जाता है। ऐसा माना जाता है कि ये पक्षी भगवान शिव के प्रति समर्पित है। इस मदिर में , पक्षियों को विशेष महत्व दिया जाता है और उन्हें नियमित रूप से भोजन दिया जाना एक अद्वितीय परंपरा है। मन्दिर में पक्षियों को दिया जाने वाला भोजन तीर्थयात्रियों के लिए प्रसाद के रूप में भी वितरित कर दिया जाता है। अन्त में यही कहा जा सकता है कि पक्षी तीर्थ एक अद्वितीय और महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। यह भगवान शिव के प्रति भक्ति और प्रेम का प्रतीक है और यह पक्षियों के प्रति प्रेम और दया का संदेश देता है। यह एक पवित्र , शांत और सुंदर स्थान है, जहाँ कि यात्रा हर किसी यात्री को करनी चाहिए।
यह स्थान , एगमोर – रामेश्वरम् रेलमार्ग पर चैन्नई से करीब 56 कि.मी. दूर है , चेंगलपट्ट स्टेशन , यहाँ से मात्र 14 कि.मी. की दूरी पर है l
चैन्नई से पक्षी तीर्थ की यात्रा आप बस से भी कर सकते हैं, पक्षी तीर्थ , चेन्नई से 73 कि.मी. की दूरी पर है। आप बस, ट्रेन या टैक्सी द्वारा यहाँ पहुंच सकते हैं। कांचीपुरम से करीब 52 कि .मी. पक्षीतीर्थ है , यहाँ से महाबलीपुरम की दूरी मात्र 16 कि मी.है , महाबलीपुरम से चेन्नई करीब 56 कि.मी.दूर है l