आम जानता नगर निगम की नीति के आगे बेबस
प्रदेश में एक समान नामांतरण शुल्क लागू करने के लिए शासन की ओर से तैयार किए गए मानक उपविधि (बाइलाज)-2025 को नगर निगम में भी पेश किया गया पर नगर निगम ने इस नीति को अभी लागू नहीं किया | इसपर नगर निगम का कहना है कि अभी उसपे मुक़दमा चल रहा है और जब तक मुक़दमा चलेगा तब तक नई नीति लागू नहीं की जाएगी । अब सवाल इसपर कई उठते है कि अगर मुक़दमा चल रहा है तो राज्य सरकार द्वारा यह नीति लागू कैसे करी जा सकती है वही अगर मुक़दमा चल भी रहा है तो राज्य सरकार एक हफ्ते में मुक़दमे को ख़त्म भी करा सकती है | अगर नगर निगम ने मुक़दमा किया है तो उसको नॉट प्रेस करके ख़त्म कर सकती है और अगर आम जानता ने किया है तो उसमे समर्थन करके ख़ारिज कर सकती है ।
एम एल सी अरुण पाठक के विरोध को मिला राज्य सरकार का साथ
कानपुर नगर निगम द्वारा चलाया जा रहा नामांतरण शुल्क के विरोध में एमएलसी अरुण पाठक ने काफ़ी विरोध किया कई चिठिया राज्य सरकार को लिखी जिसको राज्य सरकार ने संज्ञान में लेते हुए है एक समान नामांतरण शुल्क शासन की ओर से तैयार किए गए मानक उपविधि (बाइलाज)-2025 को पास किया | जिसके अनुसार नामांतरण शुल्क केवल 1000 से 10000 तक ही लगेगा क्यूंकि नगर निगम द्वारा अब तक बिक्री खरीद की कीमत पर 1 परसेंट नामांतरण शुल्क लगाया जाता था जबकि प्रदेश के और अन्य शहरों में 1000 से 10000 तक नामांतरण शुल्क वाली नीति अपनाई जा रही है ।
नगर निगम की नीति को लेकर क्या बोले सपा विधायक
समाजवादी पार्टी के आर्या नगर विधानसभा के विधायक अमिताभ बाजपेयी ने कहा की यह लगातार नगर निगम की तानाशाही चल रही है जिस तरह से यह लोग आम जनता को ठगने का काम कर रही है यह बहुत ही निंदनीय काम है । वही इसका हमलोगों ने कई मंचों में यह प्रस्ताव रखा और मुझे इस बात से बहुत खुशी है की राज्य सरकार ने इसको संज्ञान में लेते हुए आम जानता के बारे में सोचा और इसपे एक्शन लेते है वही नीति लागू करने के लिए बोला जो पूरे प्रदेश में चल रही है । वही यह भी कहा नहर निगम ऐसे अपनी मनमानी से कोई भी नीति लागू नहीं कर सकती है और अगर करेगी तो इसका हमलोग विरोध करेंगे ।
मुकदमे का बहाला दिया नगर निगम ने , क्या बोले वकील
कानपुर कोर्ट के अधिवक्ता शैलेंद्र पांडेय का कहना है की नगर निगम अपनी मनमानी से यह नीति चला रहा है राज्य सरकार द्वारा 1 परसेंट वाली नीति कभी भी लागू नहीं की गई है । वही एक समान नामांतरण शुल्क शासन की ओर से तैयार किए गए मानक उपविधि (बाइलाज)-2025 को पास किया गया और अगर कोई मुक़दमा शासन में चल रहा होता तो राज्य सरकार यह नीति पास ही ना करती । नगर निगम अपनी मनमानी नहीं छोड़ना चाहता है इसलिए अभी इस नीति को लागू नहीं कर रहा ।