*खानकाहे हुसैनी में जशन ए ताजे विलायत मौला अली मनाया गया।*
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कानपुर 15 जून जशन ए ताजे विलायत मौला अली खानकाहे हुसैनी कर्नलगंज ऊँची सड़क हज़रत ख्वाजा सैय्यद दाता हसन सालार शाह (रह०अलै०) की दरगाह मे अकीदत एहतिराम के साथ मनाया गया।
सुबह 11 बजे जशन ए ताजे विलायत मौला अली का आगाज़ कुरान पाक की तिलावत से शुरु किया। शोरा ए कराम ने नात मनकबत पढ़ी “बस अली का साथ हमको दो जहां से प्यारा है वो है तो सब हमारा है, मुनाफिक और मोमिन में अगर पहचान करनी हो लगाओ मिलकर सब नारा अली मौला अली मौला, पुकारु मैं अली मौला, तुझे क्यों दर्द उठता है नबी ने खुद पुकारा है अली मौला अली मौला” नात मनकबत सुनकर सभी सुबहान अल्लाह सुबहान अल्लाह नारे हैदरी या अली या अली की सदाएं बुलंद हुई।
जशने ताजे विलायत को खिताब करते हुए उलेमा ए दीन ने कहा कि पैगम्बर ए इस्लाम, हज़रत मोहम्मद मुस्तफा (स०अ०व०) जब हिज्जातुल विदा से वापस मदीने शरीफ जा रहे थे तो रास्ते मे एक मुकाम आया जिसे गदीर ए खुम कहा जाता है हुज़ूर ने अपने सहाबियों से पड़ाव डालने का हुक्म फरमाया ज़ोहर की नमाज़ के बाद रसूले खुदा ने खिताब फरमाया व हज़रत अली का हाथ उठाकर कहा मन कुन्तों मौला फ़हाज़ा अली उन मौला जिस जिस का मै मौला उनका अली मौला यह बात हज़ारो सहाबियों की मौजूदगी मे हुज़ूर ने कही। उलेमा ए दीन ने ईदे गदीर ए खुम की पूरे आलम के मुसलमानों को मुबारकबाद दी।
हज़रत ख्वाजा सैय्यद दाता हसन सालार शाह (रह०अलै०) की मज़ार पर इत्र संदल, गुलपोशी कर नज़र- सलातों सलाम पेशकर दुआ हुई दुआ में अल्लाह से अपने हबीब, मौला अली के सदके मे हम सबकों अहले बैत से मोहब्बत करने, नमाज़ की पाबंदी करने, मुल्क से दहशतगर्दी का खात्मा होने, मुल्क सूबे व शहर मे खुशहाली तरक्की देने की दुआ की। खानकाहे हुसैनी में नारे बुलंद कर मनकुंतों मौला अली-अली की सदाएं गूँजी। जशन के बाद राहगीरों को शर्बत वितरण किया गया जो शाम तक चलता रहा।
जशन व शर्बत वितरण में खादिम खानकाहे हुसैनी इखलाक अहमद डेविड चिश्ती, जमालुद्दीन फारुकी, हाजी गौस रब्बानी, परवेज आलम वारसी, मोहम्मद शाहिद चिश्ती, अबरार अहमद वारसी, मोहम्मद हफीज, मोहम्मद जावेद, मोहम्मद इदरीस, मोहम्मद वसीम, शारिक वारसी, जैद पठान, मोहम्मद मुज़म्मिल, एज़ाज़ अहमद, खादिम खानकाहे हुसैनी अफज़ाल अहमद आदि लोग मौजूद थे।