उत्तर प्रदेश में इन दोनों कानपुर जनपद के जिला अधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह तथा मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर हरदत नमी के बीच चल रहा विवाद भाजपा विधायक व सांसदों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है सबसे महत्वपूर्ण बात यह है की दोनों पक्षों में समझौता करने के बजाय भाजपा के सांसद विधायक आज में घी डालने का काम स्वयं कर रहे हैं जिससे योगी सरकार की छवि धूमिल हो रही है और जनता इन दोनों के शीत युद्ध में पीस रही है एक तरफ जिलाधिकारी के पक्ष में कुछ विधायक लिख रहे हैं तो वहीं मुख्य चिकित्सा अधिकारी के पक्ष में विधानसभा अध्यक्ष तथा दो विधायकों के लिखने से मामले ने तूल पकड़ लिया है इतना ही नहीं बिठूर से भाजपा विधायक अभिजीत सिंह संग भी जिला अधिकारी जितेंद्र प्रताप के पक्ष में कूद पड़े हैं इससे यह साफ स्पष्ट है की शहर के भाजपा सांसद व विधायकों के बीच आपस में कोई सामंजस नहीं है बल्कि एक दूसरे की टांग खींचने में लगे हुए हैं और कौन कितना मजबूत है इसी बात को लेकर शीत युद्ध में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं यह मामला बहुत ही गंभीर है जब जिला अधिकारी व मुख्य चिकित्सा अधिकारी इस तरह का मृत सामूहिक रूप से कर रहे हैं जिससे योगी सरकार की खिल्ली उड़ रही है और उसी में आग में घी डालने का काम योगी सरकार के विधानसभा अध्यक्ष सांसद विधायक स्वयं कर रहे हैं पक्ष विपक्ष में लिखने के बजाय दोनों पक्षों को बुलाकर समझौता करना चाहिए था या फिर जिसकी गलती हो उसके खिलाफ तुरंत लिखकर उसे सस्पेंड कर देना चाहिए था मुख्य चिकित्सा अधिकारी का विवादित वीडियो वायरल होने के बाद जिला अधिकारी व मुख्य चिकित्सा अधिकारी के बीच पहले खींचे हुए हैं जिसका खामियाजा आम जनमानस भुगत रहा है इन सब की चिंता सांसद व विधायकों को नहीं है सिर्फ दोनों पक्षों की राजनीतिक रोटियां सीखने में लगे हुए हैं अब देखना यह होगा की मुख्यमंत्री का निर्णय किशोर जाता है इस तरफ सब की निगाहें लगी हुई है परंतु मामला कुछ भी हो यह बहुत ही निंदनीय कार्य है जब दो कानपुर जिले के वरिष्ठ अधिकारी आपस में खुलेआम आरोप प्रत्यारोप करके योगी सरकार की छत धूमिल करते घूम रहे हैं और जिसमें महत्वपूर्ण भूमिका योगी सरकार के सांसद व विधायक खुद निभा रहे हैं इससे साफ जाहिर है की सांसद विधायक समझौता करने के बजाय पक्ष विपक्ष में लिख रहे हैं जहां तक जिलाधिकारी की बात की जाए वह बहुत ही जिम्मेदार और अच्छे व्यक्ति ही नहीं जनमानस के बीच भी उनकी छवि काफी अच्छी है और वह जनता की प्रत्येक समस्या को बहुत गंभीरता से सुनकर तत्काल निवारण करते हैं जबकि इसके ठीक विपरीत मुख्य चिकित्सा अधिकारी हरदत नमी का कार्यकाल है सैकड़ो नर्सिंग होम बिना लाइसेंस के चल रहे हैं आए दिन उन नर्सिंग होम में मृत्यु होती जाती है गलत इलाज के चलते अखबार के सुर्खियों में छपता है परंतु मोक्ष चिकित्सा अधिकारी आंखों का कांड बंद करके बैठे रहते हैं और उन नर्सिंग होमो पर को कोई कार्रवाई करने के बजाय शांतिपूर्वक बैठते हैं इसके पीछे का राज क्या है यह आप लोग स्वयं जानते होंगे इसके आगे मुझे कोई भी कहने का अधिकार नहीं है लेकिन मौलिक अधिकार के तहत मैं कहना चाहता हूं की मुख्य चिकित्सा अधिकारी से सर्वोपरि जिला अधिकारी का कार्य है इसलिए जिलाधिकारी के साथ किसी प्रकार की राजनीति नहीं होनी चाहिए थी जैसा कि संसद व विधायक कर रहे हैं जिस दिन से जिला अधिकारी ने कमान संभाली है शहर कानपुर में अधिकारी थर-थर कांपने लगे हैं शायद मुख्य चिकित्सा अधिकारी को उनका यह कार्य रास नहीं आया क्योंकि उन्होंने लापरवाही बरतने वाले और गायब रहने वाले सीएचसी पीएचसी में अचानक छापे मार कर कई अन्यथाएं पड़ी और वहां के डॉक्टर को नदारत पाया इसमें सीधे मुख्य चिकित्सा अधिकारी की शिथिलता व कार्य शैली पर सीधे प्रश्न चिन्ह लग गया यह कर मोक्ष चिकित्सा अधिकारी का था कि सारे सेंटरों पर जाकर आकस्मिक निरीक्षण कर जनता की सुविधाओं को समुचित व्यवस्था कारण और लापरवाह डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई करें परंतु उनके द्वारा ऐसा कोई कर नहीं किया गया आए दिन नर्सिंग होम के खिलाफ समाचार पत्रों में प्रमुखता से क्षमता चल रहा है जिला अधिकारी ने जनमानस के हित में कड़ी कार्रवाई का निर्णय लिया है इसी से मुक्त चिकित्सा अधिकारी बौखला गए हैं और अनारकल बयान बाजी करना शुरू कर दिया है यह पहला अवसर है जब किसी जिला अधिकारी के साथ मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा बगावती स्वर अपने गए हैं

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