*खानकाहे हुसैनी में परचम कुशाई की रस्म अदा की गयी।*

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कानपुर 27 जून मोहर्रम की पहली तारीख पर खानकाहे हुसैनी हज़रत ख्वाजा सैय्यद दाता हसन सालार शाह (रह०अलै०) की दरगाह कर्नलगंज, ऊँची सड़क में परचम कुशाई की रस्म परम्परागत ढंग से अदा की गयी।

 

हर साल की तरह इस साल भी खानकाहे हुसैनी में जुमा की नमाज़ के बाद परचम की गुलपोशी कर सलातो सलाम पेश कर दुआ हुई।

 

खादिम इखलाक अहमद डेविड चिश्ती हुसैनी परचम को लेकर खानकाहे हुसैनी से बाहर आए इमाम हुसैन के चाहने वालों ने परचम की गुलपोशी इत्र पेशकर लब्बैक लब्बैक या हुसैन, हक हुसैन, मौला हुसैन, नारे हैदरी या अली या अली, दीन की पनाह हुसैन है मेरा बादशाह हुसैन है के नारों की सदा बुलंद की नारों की सदाओं से पूरा इलाका गूँज उठा।

 

उसके बाद दुआ हुई दुआ में खादिम इखलाक अहमद डेविड चिश्ती ने अल्लाह से अपने हबीब, मौला अली, हसनैन के सदके में हमारे मुल्क सूबे शहर में अमनों अमान कायम कर व खुशहाली तरक्की दे, गुनाहों की माफी, कुदरत के कहर से बचाने, मस्जिदों में जमात के साथ नमाज़ अदा करने, दहशतगर्द का खात्मा करने, फिरकापरस्त ताकतों को नेस्तनाबूद करने की दुआ की सलातो सलाम पेशकर परचम खानकाहे हुसैनी मे नसब किया गया।

 

परचम कुशाई मे इखलाक अहमद डेविड चिश्ती, जमालुद्दीन फारुकी, हाफिज़ मोहम्मद असद, परवेज़ आलम वारसी, अब्दुद कय्यूम चिश्ती, मोहम्मद तौफीक वारसी, मोहम्मद आलम, मुज्जमिल हुसैन, मोहम्मद इदरीस, मोहम्मद जै़द खादिम खानकाहे हुसैनी अफज़ाल अहमद आदि लोग मौजूद थे।

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