संस्कृत विभाग, दयानन्द गर्ल्स पी० जी० कालेज कानपुर द्वारा आज दिनांक: 11 अगस्त 2025 को संस्कृत सप्ताह समारोह बड़े उत्साह एवं श्रद्धा के साथ मनाया गया। इस अवसर पर संस्कृत भाषा एवं साहित्य की महत्ता, भारतीय संस्कृति में उसका योगदान तथा वर्तमान युग में उसकी प्रासंगिकता पर विविध कार्यक्रम आयोजित किए गए।
समारोह का शुभारम्भ वैदिक मंत्रोच्चारण एवं दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि संस्कृत सेविका श्रीमती जागृति तिवारी, प्रवक्ता (संस्कृत) ताराचन्द इण्टर कालेज, शिवली, कानपुर देहात ने अपने उद्बोधन में संस्कृत को “भारतीय संस्कृति की आत्मा” बताते हुए इसके संरक्षण एवं संवर्धन की आवश्यकता पर बल दिया। महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो० वन्दना निगम ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा कि संस्कृत भाषा ही भारतीय संस्कृति का प्राणतत्त्व है, भारतीय संस्कृति को समझने और जीवनशैली को भारतीय संस्कृति के अनुरूप बनाने के लिए संस्कृत अत्यन्त उपयोगी व प्रगाढ़ स्तम्भ के समान है। महाविद्यालय की सेल्फ फाइनेंस डायरेक्टर प्रो.अर्चना वर्मा ने अपने संबोधन में संस्कृत संवर्धन हेतु संस्कृतज्ञों और जिज्ञासुओं को प्रेरित कर संस्कृत की सांस्कृतिक विरासत को स्पष्ट किया। माँ सरस्वती की वन्दना सोनी, स्वागत गीत सौम्या अग्निहोत्री व संस्कृत गीत अंशिका ने प्रस्तुत किया। पलक तथा आद्रिका ने अभिनय के माध्यम से संस्कृत सप्ताह क्यों मनाया जाता है ? इसका उद्देश्य क्या है ? इस विषय पर मनमोहक प्रस्तुति दी, जिससे उपस्थित विद्यार्थियों एवं अतिथियों को संस्कृत का वैज्ञानिक वैशिष्ट्य एवं महत्ता का ज्ञान हुआ। कार्यक्रम की संयोजिका संस्कृत विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ० मिथिलेश गंगवार ने संस्कृत की वर्तमान में प्रासंगिकता पर अपने विचार प्रस्तुत किए और कहा कि संस्कृत सम्पूर्ण भारत को सौहार्द की एक डोर से बांध सकती है, जिससे क्षेत्रवाद,भाषावाद के संघर्ष समाप्त होंगे। कार्यक्रम का सफल संचालन आस्था शुक्ला एवं धन्यवाद ज्ञापित करते हुए डाॅ.मिथलेश गंगवार ने महाविद्यालय की प्रबन्ध समिति, प्राचार्या, शिक्षिकाओं, शिक्षणेत्तर कर्मचारियों, सहयोगियों व छात्र छात्राओं को धन्यवाद दिया। इस शुभ अवसर पर कुलानुशासिका प्रो.अर्चना श्रीवास्तव, प्रो.नगीना जब़ी, प्रो.मुकुलिका हितकारी, प्रो.इन्दु यादव, प्रो.सुमन सिंह, डा.मञ्जुला श्रीवास्तव, प्रो.मधुरिमा सिंह, प्रो० स्वाती सक्सेना, कविता विशनोई आदि ने अपनी गरिमामयी उपस्थिति से कार्यक्रम की श्रीवृद्धि की। कार्यक्रम में सभी विभागों की विभाग प्रभारी एवं शिक्षिकाएँ उपस्थित रहीं और 51 छात्राओं ने कार्यक्रम में प्रतिभाग कर संस्कृत का महत्त्व समझा।

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