कानपुर के मेडिकल कॉलेज से संबंधित लाला लाजपत राय चिकित्सालय में दीपावली का अवसर होने के कारण दर्जनों मरीज की जिंदगी से खिलवाड़ डॉक्टर कर रहे हैं उनकी पट्टी करने तक वार्ड में नहीं जाते हैं और मरीजों को कई दिनों से लगातार कभी इमरजेंसी कभी ज्योति कभी वार्ड में पट्टी करने का बहाना बनाकर डॉक्टर उन्हें टाल रहे हैं इसका जीता जागता उदाहरण है 12 अक्टूबर को कानपुर देहात के कर्करापुर निवासी प्रमोद वाजपेई को मेडिसिन विभाग के डॉक्टर एमपी सिंह के अंदर में भर्ती किया गया था जिस दिन से इनके अंदर में मरीज भर्ती है उसी दिन से उसकी दुर्दशा होती चली जा रही है इनके जू से कोई भी उनको देखने तक नहीं जा रहे हैं और उनका पैर में फूल गया था जिससे काफी सूजन आ गई थी जिसकी खाल काटकर ड्रेसिंग करने के लिए डॉक्टर एमपी सिंह ने अपने झुंडों को निर्देश जारी किए थे परंतु कोई भी डॉक्टर पट्टी करने को तैयार नहीं है पीड़ित पत्नी लगातार कभी इमरजेंसी कभी होती कभी वार्ड में पट्टी करने की बात कह कर डॉक्टर वास स्टाफ नर्स से परेशान कर रही हैं और पट्टी तीन दिन से नहीं हो पा रही है जिससे उनके पैर में संक्रमण बढ़ता चला जा रहा है इस संक्रमण का जिम्मेदार मेडिसिन विभाग का डॉक्टर डॉक्टर एमपी सिंह का होगा क्योंकि उनके अंदर में मरीज भर्ती है अगर मरीज के साथ कोई भी अपनी घटना या वारदात होती है तो उसके समस्त जिम्मेदार लापरवाही के डॉक्टर एमपी सिंह होंगे क्योंकि उनकी कमान अपने जूनियर व सीनियर रेजिडेंट पर कतई नहीं है इस बात के पुख्ता प्रमाण मिले हैं पीड़ित की पत्नी लगातार डॉक्टर से गुहार लगा रही है स्टाफ नर्सो से गुहार लगा रही है परंतु उसकी कोई सुनवाई करने वाला नहीं है इतना ही नहीं इस मामले को लाला लाजपत राय चिकित्सालय के प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर आरके सिंह को भी एक पत्रकार द्वारा अवगत करा दिया गया था कि इस मरीज के इलाज में पूरी तरह से लापरवाही हो रही है इस पर उन्होंने तत्काल कार्रवाई का श्वसन भी दिया था परंतु शायद उनका आदेश भी मानने को कोई भी डॉक्टर तैयार नहीं है जब प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक की यह औकात है कि उनका आदेश कोई नहीं मान रहा है तो ऐसे प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक को कुर्सी पर किस आधार पर बैठा दिया गया है उनकी जगह किसी तेज तरह डॉक्टर की तैनाती अगर हो तो जूनियर और सीनियर डॉक्टरों की इतनी हिम्मत नहीं है कि वह अपने प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक की बात ना माने या तो इन डॉक्टरों पर पूरी तरह से डॉक्टर एमपी सिंह की लगाम नहीं है और वह भी इतने लापरवाह है कि अपने मरीज के पास जाना उचित नहीं समझते हैं जबकि माननीय उच्च न्यायालय सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट आदेश हैं कि मरीजों की सेवा ही सर्वोपरि है अगर मरीज के साथ कोई भी घटना घटित होती है और लापरवाही के कारण उसकी मृत्यु हो जाती है तो इसका सीधे जिम्मेदार डॉक्टर होगा कर्करापुर निवासी प्रमोद बाजपेई का उपचार इस समय वह वार्ड नंबर 1 कमरा नंबर दो तथा पलंग नंबर पांच पर जिंदगी मौत से झूल रहे हैं और उनकी पत्नी लगातार डॉक्टर के चक्कर लगाते लगाते थक चुकी है जिस दिन से इस मरीज को भर्ती कराया गया है उसी दिन से उसके इलाज में पूरी तरह से लापरवाही बढ़ती जा रही है इसकी जानकारी प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक को तीन बार दी जा चुकी है परंतु कोई भी सुधार अब तक नहीं हुआ है और सभी डॉक्टर मौज में घूम रहे हैं और इसी तरह के दर्जनों मरीज जिंदगी और मौत के बीच हाइलाइट अस्पताल में जूझ रहे हैं जबकि मेडिकल कॉलेज के प्रचार डॉ संजय कला लगातार वह भाई लूटने के लिए फर्जी बातें कहकर शासन को गुमराह करते रहते हैं कि हमारे यहां की व्यवस्था बहुत चुस्त दुरुस्त है डॉक्टर संजय कला जरा इस मरीज से जाकर पूछे और जरा डॉक्टर आर के सिंह से पूछे की कितनी बार इस मरीज के लिए कहा गया है और आज तक मरीज पट्टी के लिए तड़प रहा है अब मामला यह है कि उसकी पट्टी क्यों नहीं 3 दिन से की गई लगातार उसे उसकी पत्नी को क्यों परेशान किया गया महिला को रात में इमरजेंसी ओट में क्यों बुलाया गया पट्टी करवाने के लिए यह कई बिंदु जांच के हैं जबकि नियमानुसार वार्ड में ही मरीज की पट्टी होनी चाहिए वार्ड बॉय व डॉक्टर मिलकर वार्ड में ही पट्टी करते हैं फिर प्रमोद को बार-बार इमरजेंसी कभी ओपीडी कभी ज्योति में क्यों किस आधार पर बुलाया जा रहा था यह बहुत ही खेत का विषय है और यह सीधे यह दर्शाता है की मेडिकल कॉलेज में कितनी लापरवाही मरीजों के साथ हो रही है जिनका खुलासा लगातार होता रहता है

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