*जाजमऊ की टैनरियों पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की सख़्ती*
*मानक से बाहर निस्तारण पर नोटिस और जुर्माने की कार्रवाई जारी*
*वर्ष 2025 में अब तक 20 टेनरियों को दी जा चुकी नोटिस, 9 पर लगा जुर्माना*
कानपुर नगर, 1 नवम्बर।
जाजमऊ क्षेत्र में टैनरियों और शोधन संयंत्रों से निकलने वाले शोधित उत्प्रवाह के संबंध में उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने स्पष्ट किया है कि क्षेत्र में संचालित सभी इकाइयों पर नियमित मॉनिटरिंग की जा रही है। बोर्ड की क्षेत्रीय प्रदूषण अधिकारी अजीत कुमार सुमन ने बताया कि दूषित जल के निस्तारण पर नियंत्रण के लिए लगातार एक्शन लिया जा रहा है और मानक से बाहर अपशिष्ट निस्तारित करने वाली इकाइयों पर कड़ी कार्रवाई जारी है।
*278 टैनरियाँ कर रहीं संचालन, सभी में लगा है फ्लोमीटर*
वर्तमान में जाजमऊ क्षेत्र में कुल 278 टैनरी इकाइयाँ कार्यरत हैं। प्रत्येक इकाई में औद्योगिक प्रक्रिया से उत्पन्न शोधित उत्प्रवाह के प्राथमिक शोधन हेतु प्राइमरी इफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (पीईटीपी) तथा द्वितीयक शोधन हेतु 20 एमएलडी क्षमता वाला कॉमन इफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीईटीपी) संचालित है। सभी इकाइयों में इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फ्लोमीटर लगाए गए हैं, जो केंद्रीय और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सर्वर से कनेक्ट हैं। इनसे वास्तविक समय में निस्तारित जल की मात्रा और गुणवत्ता का डेटा प्राप्त होता है।
*20 टैनरियों को नोटिस, नौ पर 2.87 लाख रुपये का जुर्माना*
क्षेत्रीय प्रदूषण अधिकारी अजीत कुमार सुमन ने बताया कि वर्ष 2025 में अब तक 20 टैनरियों को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं, जबकि 9 टैनरियों पर 2,87,500 रुपये की पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति (एनवायरमेंटल कॉम्पनसेशन) अधिरोपित की गई है। उन्होंने कहा कि जो इकाइयाँ निर्धारित मानकों का पालन नहीं कर रही हैं, उनके विरुद्ध जल अधिनियम-2016 की सुसंगत धाराओं में कार्रवाई की जा रही है।
*सिंचाई में होता है शोधित जल का प्रयोग*
सी.ई.टी.पी. और एस.टी.पी. से शोधित जल को मिलाकर इरीगेशन चैनल में प्रवाहित किया जाता है। 21 अक्तूबर को लिये गये नमूनों में चैनल के जल का पी.एच. 8.04, बी.ओ.डी. 33 मिलीग्राम प्रति लीटर, सी.ओ.डी. 170 मिलीग्राम प्रति लीटर तथा टोटल क्रोमियम 0.63 मिलीग्राम प्रति लीटर पाया गया, जो निर्धारित मानक (पी.एच. 5.5–9.0, बी.ओ.डी. 100, सी.ओ.डी. 200, टोटल क्रोमियम 2.0) के भीतर है।
*सीईटीपी से लिये गये नमूनों की होती है जांच*
दिनांक 21 अक्तूबर 2025 को किए गए निरीक्षण में 20 एमएलडी क्षमता वाले सीईटीपी से लिये गये नमूनों की जांच में जल का पीएच 7.98, बीओडी 45 मिलीग्राम प्रति लीटर, सीओडी 230 मिलीग्राम प्रति लीटर, टीएसएस 82 मिलीग्राम प्रति लीटर तथा टोटल क्रोमियम 1.62 मिलीग्राम प्रति लीटर पाया गया, जो निर्धारित मानक सीमा के भीतर है।
*तीन एसटीपी से प्रतिदिन 209 एमएलडी सीवेज उत्प्रवाह का शोधन होता है*
जाजमऊ क्षेत्र में घरेलू सीवेज के शोधन हेतु 130 एमएलडी, 43 एमएलडी और 36 एमएलडी क्षमता वाले तीन सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) संचालित हैं। इन संयंत्रों से शोधित जल इरीगेशन चैनल में प्रवाहित किया जाता है, जिसका उपयोग किसान सिंचाई में करते हैं। निरीक्षण तिथि 21.10.2025 को लिये गये नमूनों में 130 एम.एल.डी. एस.टी.पी. का पी.एच. 7.79, बी.ओ.डी. 21, सी.ओ.डी. 180 तथा टी.एस.एस. 62 मिलीग्राम प्रति लीटर पाया गया, जबकि 43 एम.एल.डी. एस.टी.पी. का पी.एच. 7.94, बी.ओ.डी. 18, सी.ओ.डी. 160 तथा टी.एस.एस. 56 मिलीग्राम प्रति लीटर दर्ज किया गया। दोनों ही परिणाम निर्धारित मानक सीमा के भीतर हैं।
*पूर्व में चार संयंत्रों पर लग चुकी है पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति*
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा पूर्व में भी मानक उल्लंघन करने वाले शोधन संयंत्रों पर पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति लगाई जा चुकी है। इसमें 130 एम.एल.डी. एस.टी.पी. जाजमऊ पर ₹215.575 लाख, 210 एम.एल.डी. एस.टी.पी. बिनगवां पर ₹379.375 लाख, 43 एम.एल.डी. एस.टी.पी. जाजमऊ पर ₹195 लाख और 5 एम.एल.डी. एस.टी.पी. जाजमऊ पर ₹56.855 लाख की क्षतिपूर्ति अधिरोपित की गई थी।
*पर्यावरणीय संतुलन के लिए नियमित सैंपलिंग और निरीक्षण*
क्षेत्रीय प्रदूषण अधिकारी अजीत कुमार सुमन ने कहा कि बोर्ड की टीमें जाजमऊ क्षेत्र में नियमित रूप से सैंपलिंग और निरीक्षण करती हैं। मानक से किसी भी प्रकार का विचलन मिलने पर तुरंत कार्रवाई की जाती है। उन्होंने कहा कि बोर्ड औद्योगिक विकास और पर्यावरणीय संतुलन दोनों को साथ लेकर चलने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
